SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 133
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ थोड़ा-थोड़ा ले। अप्रासुक, क्रीत, उद्देशिक, सामने लाया हुआ (आहत) आहार प्रमादवश आ गया हो तो भी न खाये ।।२३।। सन्निधि के त्याग से जीव जयणा : संनिहिं च न कुविज्जा, अणुमायं पि संजए। मुहाजीवी असंबद्धे, हविज्ज जगनिस्सिप्ट ||२४|| सं.छा.ः सन्निधिं च न कुर्यात्, अणुमात्रमपि संयतः। मुधाजीवी असम्बद्धः, भवेज्जगनिश्रितः ।।२४।। भावार्थ : मुनिलेश/अंश मात्र भी आहारादि का संचय न करें, निष्काम जीवी, अलिप्त मुनि ग्राम कुल आदि की निश्रा में न रहकर जनपद की निश्रा में रहकर जगत् जीव की जयणा का ध्येय रक्खें ।।२४।। । साध्वाचार पालन से जीव जयणा : लूहवित्ती सुसंतुटे, अप्पिच्छे सुहरे सिआ। आसुरतं न गच्छिज्जा, सुच्चाणं जिण-सासणं ।।२५|| सं.छा. रूक्षवृत्तिः सुसन्तुष्टः, अल्पेच्छः सुभरः स्यात्। आसुरत्वं न गच्छेत्, श्रुत्वा जिनशासनम् ।।२५।। भावार्थ : मुनि रुक्ष वृत्ति युक्त, सुसंतुष्ट (संतोषी), अल्पेच्छु, अल्प इच्छावाला, अल्प आहार वाला बनें और क्रोध विपाक के उपदेशक श्री वीतरागदेव के वचन को श्रवण करके मुनि को क्रोध नहीं करना चाहिए ।।२५।। .. कलसुक्खेहिं सद्देटिं, पेमं नाभिनिवेसार। दारुणं कसं फासं, कारण अहिआसप्ट ||२६|| सं.छा.: कर्णसौख्येषु शब्देषु, प्रेम नाभिनिवेशयेत्। दारुणं कर्कशंस्पर्श, कायेनाधिसहेत ॥२६॥ भावार्थ : मुनि कर्णेन्द्रिय को सुखकारी वीणा, वाजिंत्र, रेडियो, लाउडस्पीकर आदि के शब्दों को श्रवणकर उसमें राग न करें (द्वेष भी न करें) एवं दारुण तथा कर्कश स्पर्शको काया से, स्पर्शेन्द्रिय से सहन करें ।।२६।। खहं पिवासं दस्सिज्जं, सी-उण्हं अरडं भयं। अहिआसे अवहिओ, देहदुक्खं महाफलं ||२७|| सं.छा.ः क्षुधं पिपासां दुःशय्यां, शीतोष्णमरतिं भयम्। अधिसहेताऽव्यथितः, देहदुक्खं महाफलम् ।।२७।। भावार्थ : मुनि क्षुधा, प्यास, विषम भूमि, शीत, उष्ण ताप, अरति एवं भय को अदीन मन से, अव्यथित चित्त से सहन करें। क्योंकि भगवंत ने कहा है 'देह में उत्पन्न श्री दशवैकालिक सूत्रम् - 130
SR No.002252
Book TitleSarth Dashvaikalik Sutram
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayanandvijay
PublisherGuru Ramchandra Prakashan Samiti
Publication Year2004
Total Pages184
LanguageSanskrit, Hindi
ClassificationBook_Devnagari & agam_dashvaikalik
File Size15 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy