________________
- हिन्दी प्रेमाख्यानकों का ऐतिहासिक विकास : ६७
रचना - रचयिता
रचनाकाल ग्रन्थ लैलै-मजनूं जान रूपमंजरी कथा कलन्दर तथा तमीम-अंसारी आदि
१६४५ ई० ज्ञानदीप शेख नवी कृत
१६१९ ई० इन्द्रावती नूरमुहम्मद
११७८ हि० सन् पुहुपावती हुसेन अली
११३८ हि० सन् प्रेमचिन्गारी नजफ अली
१८०९ ई० भाषा प्रेमरस . शेख रहीम.
१९१५ ई० कथा कामरूप कवि अज्ञात चित्रावली उसमान
१६१३ ई० पुहुप-वरिषा जान
१६२१ ई० छीता
१६३६ ई० कनकावती
१६१८ ई० कंवलावती नलदमयन्ती
१०७२ हि० सन् कलावती
१०८३ , कथा विजरखाँ साहिजादे वा देवल दे.की चौपाई ,
चन्दायन-चन्दायन मौलाना दाऊद की रचना है। इसका रचनाकाल सन् १३७९ ई० आँका गया है। सूफ़ी प्रेमाख्यानकों में सर्वाधिक प्राचीन कृति चन्दायन ही है। इसे प्रकाश में लाने का पूरा-पूरा श्रेय डॉ० परमेश्वरी लाल गुप्त को है। उन्होंने चन्दायन के अनुशीलन में चन्दायन पर हुए अद्यतन कार्यों को व्योरा सप्रमाण प्रस्तुत किया है जो अत्यन्त महत्त्व का है। उन्हें इस बात की टोस थी कि इतने समय बाद तक यह कृति प्रकाश में क्यों नहीं आई। वे लिखते हैं-'१९२८ ई० से लेकर १९५६ ई० तक
१. डा० परमेश्वरीलाल गुप्त द्वारा संपादित, हिन्दी ग्रंथ रत्नाकर, बंबई से
प्रकाशित। २. विस्तार के लिए देखिये—अनुशीलन, वही, पृ० १-१८. . .