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________________ ६८ : अपभ्रंश कथाकाव्य एवं हिन्दी प्रेमाख्यानक , सूफ़ी साहित्य और प्रेमाख्यानक काव्यों को लेकर शोध का ढिंढोरा तो खूब पिटा पर हिन्दी साहित्य के विद्वानों और अनुसन्धित्सुओं की जानकारी इस बात तक ही सीमित रही कि दाऊद ने चन्दावन नामक कोई प्रेमाख्यानक काव्य लिखा था । उसकी एक प्रति उन्हें ज्ञात भी हुई तो. उसकी ओर समुचित ध्यान ही नहीं दिया गया । लोग रामकुमार वर्मा की धुरी पर चक्कर काटते रहे ।' १ चन्दायन में अपने परवर्ती काव्यों में पाई जानेवाली सभी विशेषताएँ मिलती हैं । इसकी अपनी विशेषता यह है कि कथा का प्रारम्भ नायिका के जन्म से होता है । दाऊद ने प्रेमाख्यानकों में पाये जानेवाले कथा-अभिप्रायों का भी प्रयोग किया है । इसकी रचना लोककथा के आधार पर ही हुई । दाऊद के समय में लोरक-चंदां की लोक-कथा काफ़ी प्रचलित थी । रचना सभी दृष्टियों से महत्त्वपूर्ण है । कथा इस प्रकार है : ईश्वर - मुहम्मदादि की स्तुति के उपरान्त कवि ने गोवर महर नामक स्थान के सरोवर, मन्दिर, खाई, दुर्ग, नगर निवासियों, सैनिकों, बाजारहाट, राजदरबार और महल आदि का वर्णन किया है । राय मेहर के ८४ रानियाँ थीं जिनमें फूलारानी नामक महारानी थी । राय मेहर के घर चांद नामक कन्या उत्पन्न हुई । खूब खुशियाँ मनाई गईं । जब तक चाँद १२ महीने की ही हो पाई थी कि द्वारसमुद्र, मारवाड़, गुजरात, तिरहुत, अवध और बदायूँ तक उसकी प्रशंसा फैल गई ! जब चांद ४ वर्ष की हुई तो जीत के अनुरोध पर उसके बेटे बावन से सहदेव ने चाँद का विवाह रचा दिया । विवाह की १२ वर्ष की लम्बी अवधि बीत गई । चाँद का यौवन फूट पड़ा । परन्तु उसका पति उसकी सेज पर नहीं आया। वह विलाप करने लगी। उसकी ननद ने विलाप सुनकर अपनी माँ से कहा । चाँद की सास से उसकी कहासुनी हो गई और चांद अपने पिता के यहाँ से आदमी बुलाकर पीहर चली गई । वहाँ उसे स्नानादि कराके उसका शृंगार किया गया। चाँद की सखियों ने उससे पति-प्रसंग की बातें पूछों। इस पर उसने अपनी कामव्यथा कह सुनाई । एक बार गोवर में वज्रयानी साधु आया । वह गाता हुआ नगर में भिक्षाटन कर रहा था। चाँद ने अपने झरोखे से उसे देखा । साधु की दृष्टि ९. वही, पृ० ७.
SR No.002250
Book TitleApbhramsa Kathakavya evam Hindi Premakhyanak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPremchand Jain
PublisherSohanlal Jain Dharm Pracharak Samiti
Publication Year1973
Total Pages382
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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