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________________ : अपभ्रंश कथाकाव्य एवं हिन्दी प्रेमाख्यानक का आँचल दूध से भींग गया। सूरसेन ने स्वयं के और रानियों के लिए एक भव्य प्रासाद का निर्माण कराया । सूरसेन समस्त राजाओं को जोत चक्रवर्ती हुए । कुमार के चार लड़के थे । जब सूरसेन ने ३० वर्ष तक युवराज पद संभाला तो सोमेश्वर की मृत्यु हो गई । इससे उन्हें बहुत दुःख हुआ । किसी प्रकार धैर्य धारण किया । रम्भा ने अपने पुत्र चन्द्रसेन को चम्पावती से बुला लिया। एक बार एक नटमण्डल ने एक खेल रचाया । यह खेल २२ खंडों के महल में रचाया गया । इस खेल को देख कर सूरसेन को वैराग्य हो गया और वे पंडित चिन्तामणि तथा अपनी रानियों के साथ काशी चले गये । मृगावती - इस नाम की कई रचनाएँ लिखी गई । जिस रचना का यहाँ उल्लेख किया जा रहा है, वह मेघराज प्रधान की कृति है । इसका रचनाकाल सं० १७२३ है । डा० हरिकान्त श्रीवास्तव ने इसका रचनाकाल सं० १९०६ सम्भवतः प्रमाणाभाव के कारण ही लिखा होगा । कुतुबनकृत मृगावती का सम्पादन डा० शिवगोपाल मिश्र ने किया है । उसकी भूमिका में उन्होंने मृगावती नाम की आठ विभिन्न लेखकों की रचनाओं का उल्लेख किया है । प्रस्तुत कृति के विषय में जो उन्होंने लिखा है, यहाँ मैं वैसा ही उद्धृत कर रहा हूँ : 3 'मेघराज प्रधानकृत सं० १७२३ में ओड़छा के भतीजे अर्जुन सिंह को आज्ञा के अनुसार मेघराज ने इसकी एक प्रति बूंदी के राजकीय पुस्तकालय में है की सूचना भी उदयशंकर शास्त्री ने दी है जो सं० १८०६ को चैत्र सुदी २ को लिखी है ( देखिए – साप्ताहिक 'आज '२३ मार्च, १९५८ ) " ।' ३ प्रेमपयोनिधि - कवि मृगेन्द्र द्वारा रचित इस रचना का प्रणयन सं० १९१२ में हुआ था । रचना के अन्तर्गत वे सभी विशेषताएँ मौजूद हैं जो एक प्रेमाख्यान में होनी चाहिए। जगह-जगह अद्भुत चमत्कार की बातें प्रस्तुत की गई हैं । समुद्र में तूफान से नौका का टूटना, शुक आदि पक्षियों राजा सुजान सिंह के मृगावती कथा लिखी । और एक दूसरी प्रति १. डा० हरिकान्त श्रीवास्तव, भारतीय प्रेमाख्यान काव्य, पृ० ४१. २. कुतुवनकृत मृगावती, डा० शिवगोपाल मिश्र द्वारा सम्पादित, हिन्दी साहित्य सम्मेलन प्रयाग से प्रकाशित, भूमिका, पृ० ६. ३. वही.
SR No.002250
Book TitleApbhramsa Kathakavya evam Hindi Premakhyanak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPremchand Jain
PublisherSohanlal Jain Dharm Pracharak Samiti
Publication Year1973
Total Pages382
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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