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हिन्दी प्रेमाख्यानकों, अपभ्रंश कथाकाव्यों के शिल्प का तुलनात्मक अध्ययन : ३१७
भगवती भागीरथीमवगाहिष्य इति' (पृ० ५८-५९ )। ठीक इसी प्रकार अपभ्रंश कथाकाव्य करकंडुचरिउ में रानी को राजा के साथ हाथी पर बैठकर घूमने का 'दोहद' हुआ। ऐसे सामान्य दोहदों के अनेक उदाहरण हैं।
वृक्षदोहद के विषय में, जैसा कि उल्लेख किया जा चुका है, नैषध, मेघदूत, रघुवंशादि में इस शब्द का प्रयोग इसी अर्थ में हुआ है । साहित्यदर्पण में 'कविसमयप्रसिद्धि' के अन्तर्गत वृक्ष-दोहद के संदर्भ में लिखा है कि प्रियंग स्त्रियों के स्पर्श से विकसित होता है, बकूल नायिकाओं द्वारा मदिरा के कूल्ले किये जाने पर, अशोक उनके पादाघात से, मन्दार मधुर वचनों से, चम्पक मधुर हास से, आम्र वक्त्रवात से, नमेरु संगीत से और कर्णिकार उनके नृत्य से पुष्पित होते हैं : ... स्त्रीणां स्पर्शात्प्रियंगुविकसति बकुलः सीधुगण्डूषसेकात्
पादाघातादशोकस्तिलककुरबको वीक्षणालिङ्गनाभ्याम् ।। मन्दारो नर्मवाक्यात् पटुमृदुहसनाच्चम्पको वक्त्रवाताच्चूतो गीतान्नमेरुविकसति च पुरो नर्तनात्कणिकारः॥
.. . -साहित्यदर्पण, पृ० ५६२. एक श्लोक और भी आया है : .पादाघातादशोको विकसति बकुलो योषितामास्यमये
यूं नामङ्गेषु हाराः, स्फुटति च हृदयं विप्रयोगस्य तापैः । मौर्वी रोलम्बमाला धनुरथ विशिखाः कौसुमाः पुष्पकेतोभिन्नं स्यादस्य बाणैर्युवजनहृदयं स्त्रीकटाक्षेण तद्वत् ॥
-वही, पृ० ५६१. - अशोक वृक्ष के दोहद के सन्दर्भ में कुमारसंभव की मल्लिनाथटीका के उद्धरण भी द्रष्टव्य हैं :
सनूपुररवेण स्त्रीचरणेनाभिता नम्।
दोहदं यदशोकस्य ततः पुष्पोद्गमो भवेत् ॥ अन्यपादाहतः प्रमदया विकसत्यशोकः
शोकं जहाति बकुलो मुखसीधुसिक्तः ।