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________________ हिन्दी प्रेमाख्यानकों, अपभ्रंश कथाकाव्यों के शिल्प का तुलनात्मक अध्ययन : ३१३ २०. भीमासुर का नागकुमार की पत्नी को पाताल में ले जाना । २१. नागकुमार द्वारा पाताल जाना और उद्धार । २२. अन्तर्कथाओं का समावेश | २३. नागकुमार बहुत काल तक राज्य करते हैं और अन्त में मुनि - दीक्षा ले लेते हैं । जम्बूसामिचरिउ की कथानक - रूढ़ियाँ : १. मंगलाचरण । २. जम्बूस्वामी की माता के पांच स्वप्न और मुनि द्वारा उनका फलकथन । ३. श्रेणिक राजा के विवाह की भविष्यवाणी कि उनका विवाह मृगांक पुत्री से होगा । ४. विद्युच्चर ने चोरी करने के लिए पहरेदारों को औषधि से वेहोश कर दिया । ५. सागरदत्त मुनि के दर्शन से शिवकुमार को वैराग्य उत्पन्न होना । ६. भवदेव का विवाह होते समय मुनिसंघ का आगमन । भवदेव का मुनि भवदत्त को पहुँचाने जाना और अनिच्छापूर्वक दीक्षा लेना । ७. दीक्षा के बाद में नगर में आना और मार्ग में पत्नी के मिल जाने पर विचलित होना परन्तु पत्नी के सदुपदेश से प्रायश्चित्त करना । ८. तीसरे भव में मुनि सागरदत्त के द्वारा, पांचवें भव में सुधर्मा और जम्बूस्वामी द्वारा अपने पूर्वभव की कथा कही जाती हैं । ९. जम्बूस्वामी सुधर्मा से सम्यक्त्वोपलब्धि का कारण पूछते हैं । १०. सागरदत्त, शिवकुमार मुनि और जंबूस्वामी को एक-दूसरे के निमित्त से वैराग्य होता है । ११. अन्य जल-उपवन-उद्यानक्रीड़ा आदि सम्बन्धी रूढ़ियों का भी निर्वाह हुआ है । १२. युद्ध के अन्तर्गत आकाशयुद्ध आदि का वर्णन |
SR No.002250
Book TitleApbhramsa Kathakavya evam Hindi Premakhyanak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPremchand Jain
PublisherSohanlal Jain Dharm Pracharak Samiti
Publication Year1973
Total Pages382
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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