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३१२ : अपभ्रंश कथाकाव्य एवं हिन्दी प्रमाख्यानक १०. पूर्व भव को कथा में रानी अमृतमती एक कुरूप व्यक्ति से प्रेम
करती थी। ११. रानी ने राजा तथा उसकी मां को विष दिया। १२. मुनि द्वारा विभिन्न जन्मों की कथा का बताना। . १३. अन्त में मारिदत्त और भैरवानन्द कापालिक भी जैन धर्म में..
दीक्षित हुए। णायकुमारचरिउ की कथानक-रूढ़ियाँ : १. सरस्वती-वंदना से कथारम्भ। २. कथा का श्रीपंचमी व्रत के माहात्म्य-प्रदर्शन के लिए निर्माण । ३. कथा का नायक जयन्धर। ४. वासव नाम का व्यापारी व्यापार-यात्रा से लौटा और अन्य
उपहारों के साथ राजा को एक सुन्दरी का चित्र भेंट किया। ५. राजा चित्र पर मुग्ध हो गया। ६. राजा का मंत्रियों को भेजना और उस कन्या से व्याह करना। ७. रानियों के साथ आनन्दोद्यान में जाना। ८. प्रथम रानी को दूसरी रानी से ईर्ष्या और जिनमंदिर चले
जाना। ९. वहां मुनि से पुत्र-प्राप्ति का आशीर्वाद । १०. पुत्र के विषय में मुनि की अन्य भविष्यवाणियां। . ११. बच्चे का कुएं में गिरना और नाग द्वारा रक्षा। .. १२. बच्चे का पैर लगते ही मंदिर के द्वार खुल गए। १३. पंचसुगन्धिनी का महल में दिव्य बाँसुरीवादक की खोज में पहुँ
चना और नागकुमार को श्रेष्ठ पाकर अपनी दोनों कन्याओं
का विवाह करना। १४. द्यूतक्रीड़ा। १५. राजकुमार का उद्धत घोड़े को ठीक करना। १६. सौतेले भाई की ईर्ष्या और नागकुमार को मरवाने का प्रयत्न । १७. मल्लयुद्ध में नागकुमार द्वारा हाथी को उठा लेना।. . १८. घमासान युद्ध। १९. नागकुमार ने बहुविवाह किए।