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हिन्दी प्रेमाख्यानकों, अपभ्रंश कथाकाव्यों के शिल्प का तुलनात्मक अध्ययन : ३११ . १२. समुद्र के किनारे किसी जहाज की खोज में जाना, वहाँ असफल
लौटते हुए बंधुदत्त से भेंट। १३. बंधुदत्त को क्षमायाचना और भविष्यदत्त की सारी सम्पत्ति - जहाज पर लादना, उसकी पत्नी को उसी पर बैठाना । १४. भविष्यदत्त का जहाज चलने से पूर्व जिनमंदिर में दर्शन करने
जाना और बंधुदत्त का उसे छोड़कर पत्नी एवं सम्पत्ति लेकर
भाग जाना। १५. देव की सहायता से भविष्यदत्त का घर पहुँचना। १६. राजा से शिकायत और न्याय प्राप्त करना। १७. राजा ने भविष्यदत्त को अपना उत्तराधिकारी बनाया और
अपनी कन्या से विवाह किया। १८. प्रथम पत्नी को मातृभूमि जाने की इच्छा, मैनाक द्वीप की
यात्रा और जैन मुनि के दर्शन । १९. कुछ दिन बाद मुनि का भविष्यदत्त के पूर्वभव का वर्णन और
भविष्यदत्त का वैराग्य । . २०. श्रुतपंचमी का माहात्म्य । ... जसहरचरिउ की कथानक-रूढ़ियाँ : .. १.. मंगलाचरण।
२. कथा का नायक राजा। . . ३. एक कापालिकाचार्य का नगर में आगमन और अपूर्व गुणों से
सम्पन्न होने की घोषणा। ४.. राजा का वायुगमन की शक्ति प्राप्त करने का अनुरोध । . ५. मनुष्य सहित सभी प्राणियों के जोड़ों की बलि देवी को चढ़ाने
का विधान। ६. अधिकारियों ने सभी जोड़ों का प्रबन्ध किया परन्तु मनुष्य के
जोड़े का अभाव। ७. जैन साधु-साध्वी का नगर में भिक्षा के लिए आना और कर्म
चारियों द्वारा पकड़े जाना। ८. साधु का राजा को आशीर्वाद और राजा का आकर्षित होना। ९. साधु बालक का पूर्व भव को कथा बताना ।