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-३१४ : अपभ्रंश कथाकाव्य एवं हिन्दी प्रेमाख्यानक
१३. अन्तर्कहानियों का उल्लेख ।
१४. अन्त में जम्बूस्वामी केवलज्ञान प्राप्त करके मोक्ष गए । करकंडुचरिउ की कथानक रूढ़ियाँ :
१. मंगलाचरण ।
२. राजकुमारी पद्मावती का अशुभ लग्न में उत्पन्न होना और एक उद्यान में छोड़ा जाना ।
३. करकंडु ने विवाह किया ।
४. रानी को दोहद हुआ कि वह पुरुष वेश में राजा के साथ.
भ्रमण करे ।
५. नगर भ्रमण के समय हाथी भाग खड़ा हुआ । रानी की प्रार्थना पर राजा एक वृक्ष को शाखा से लटक कर अलग हो गया रानी एक वन में पहुँच गई ।
६. रानी के पहुंचते ही सूखा वन हरा हो गया ।
७. रानी को श्मशान में पुत्र उत्पन्न हुआ जिसे एक चांडाल ले गया ।
८. एक अन्य राजा की मृत्यु पर करकंडु को राजा बनाया
गया ।
९. नायक और उसके पिता में युद्ध तथा मां ने दोनों को मिलाया ।
१०. नायक करकंडु की पत्नी को एक विद्याधर हाथी के रूप में आकर हरण कर ले गया ।
११. करकंडु का सिंहल में जाकर राजकुमारी से विवाह |
१२. सिंहल की राजकुमारी के पेट से सर्प का निकलना और करकंडु द्वारा उसका मारना ।
१३. सिंहल से लौटते समय नौका पर मच्छ का आक्रमण । १४. करकंडु ने मच्छ को मार डाला पर उसका एक विद्याधरो द्वारा हरण कर लिया गया और वह नौका पर न लौट सका। १५. रानी एक अन्य द्वीप पर पहुँच गई और पति की प्राप्ति प्रकट हो पति मिलन का
हेतु पूजा की। पद्मावती ने आश्वासन दिया ।