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हिन्दी प्रेमाख्यानकों, अपभ्रंश कथाकाव्यों के शिल्प का तुलनात्मक अध्ययन : २७९
९. हाट : राजमार्गों के किनारे-किनारे हाटों का निर्माण किया जाता था। इन हाटों की संख्या नगरों के छोटे-बड़े होने के हिसाब से होती थी।
१०. पुरभूमि का वितरण : राजमार्गों के बाद राजप्रासाद, उच्चाधिकारियों के निवास स्थान एवं अन्य नागरिकों तथा कर्मचारियों के भवनों के लिए भूमि का वितरण किया जाता था। और तब इन सबका निर्माणकार्य किया जाता था। ___ उक्त विधि से नगर-नियोजन होता था। नगर-सन्निवेश की विभिन्नता थी। नगरों का विभाजन राजधानी, पत्तन, द्रोणमुख, पुटभेदन, निगम, स्थानीय, खर्वट और खेट के रूप में मिलता है। ___ आचार्य रुद्रट का. 'पुर के समान कथाविन्यास' के होने का कथन पुरविन्यास और कथाविन्यास के तुलनात्मक अध्ययन से अधिक स्पष्ट हो सकेगा। पुरविन्यास के लिए पहले योजना बनाई जाती है । ठीक इसी तरह किसी कथा को रचना के पूर्व रचनाकार अवश्य हो अपनी कथा का प्रारूप अथवा विषय-प्रारूप निर्धारित करता है। पूर्व नियोजन के सम्बन्ध में रचनाकार को रचना के पूर्व उसका नियोजन किसी-न-किसी रूप में अनिवार्य होता है। इस प्रकार पूर्व नियोजन सम्बन्धी सिद्धान्त में कथाविन्यास और पुरविन्यास में समानता देखी जाती है। . द्वितीय बात पुरविन्यास में भूमिपरीक्षा की आती है अर्थात् यह · देखा जाता है कि किस स्थान पर नगर-नियोजन किया जाये जो प्रत्येक दृष्टि से उपयुक्त हो । इधर कथाविन्यास में कथाकार प्रथम अपना 'प्लाट' कथानक खोजता है। वह अपने मनोनुकूल और युगानुरूप विषय - चुनता है.।. 'प्लाट' शब्द भूमिखंड और कथावस्तु दोनों के लिए आज भी समान रूप से प्रयुक्त होता है। पूनः पूरविन्यास की भूपरीक्षोपरान्त भूमि-शोधन का पूजा-कार्य किया जाता है जिससे निर्माणकार्य निर्विघ्न सम्पन्न हो । कथा-विन्यास के अन्तर्गत मंगलाचरण-स्तुति आदि इसी विधि के समान हैं। कथा को निर्विघ्न पूर्णता के लिए ही ऐसा किया जाता है।
पुरविन्यास में नगर-चिह्न बना लिये जाते हैं। कथाविन्यास में भी कथा को कई भागों में विभक्त देखा जाता है। किस परिच्छेद, अंश या