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________________ २५८ : अपभ्रंश कथाकाव्य एवं हिन्दी प्रेमाख्यानक दशमी के दिन इस कथा को सुनने और इसका व्रत रखने का धार्मिक महत्त्व है। इस कथा की अपभ्रंश, संस्कृत, मराठी, गुजराती और हिन्दी रचनाएँ उपलब्ध हुई हैं जिनका सुसम्पादन डा० हीरालाल जैन ने किया है। अपभ्रंश रचना' के रचयिता उदयचन्द थे। कथा का रचनाकाल ११५० ई० माना गया है। प्रस्तुत रचना की कथा पूर्णतः धार्मिक दृष्टिकोण से लिखी गई है । संक्षेप में कथा इस प्रकार है : रचना का प्रारम्भ चौबीसों तीर्थंकरों को नमस्कार के साथ होता है। राजा श्रेणिक भगवान् महावीर से सुगन्धदशमी व्रत के पालने का फल पूछते हैं। भगवान् श्रेणिक के प्रश्न का उत्तर देते हैं-जम्बूदीप में. भरत नामक देश है। भरत देश के काशी प्रदेश में वाराणसी नामक . नगरी है। वहाँ पद्मनाथ नाम का सूविख्यात राजा अपनी प्रिय रानी श्रीमती के साथ राज्य करता था। वसन्तागमन पर सभी नर-नारियाँ वसन्तोत्सव मनाने लगे। राजा भी मदीन्मत्त सुन्दर हाथी पर अपनी । रानी को साथ बैठाकर अन्य परिजनों के साथ उद्यान-क्रीड़ा के लिए निकला । मार्ग में उसे मुनीश्वर सुदर्शन का दर्शन हुआ। राजा ने विचार किया कि मुनि को आहार देना चाहिये । अतः राजा ने रानी से आग्रह किया कि वे स्वयं घर वापिस जाकर मुनि को अपने हाथ से सुन्दर आहार दें। रानी आहार देने चली तो गई परन्तु उसके मन को बड़ा संताप हुआ कि मुनि ने बीच में आकर आनन्द भंग किया। आहार में रानी ने कड़वे फल दिये । मुनि अस्वस्थ और अशक्त हो गए तथा उन्होंने नगर के ही एक जिनमंदिर में विश्राम किया। रानी उद्यान-क्रीड़ा के लिए पहुँच गई। इधर मन्दिर में भीड़ एकत्र हो गई और रानी के गलत आहार देने से नगरवासियों में क्षोभ फैल गया। ___जब राजा उद्यान-क्रीड़ा से वापिस लौट रहा था, उसे नगर का कोलाहल सुनाई पड़ा। राजा को वास्तविक स्थिति का पता चला तो उसने रानी को राजमहल से निकाल दिया। रानी को क्लेश हुआ और मर गई । मरणोपरान्त रानी भैंस, शूकरी, मगी को कष्टमय योनियों १. डा० हीरालाल जैन द्वारा सम्पादित, भारतीय ज्ञानपीठ, वाराणसी से १९६६ में प्रकाशित. २. सुगन्धदशमीकथा, प्रस्तावना, पृ० ४.
SR No.002250
Book TitleApbhramsa Kathakavya evam Hindi Premakhyanak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPremchand Jain
PublisherSohanlal Jain Dharm Pracharak Samiti
Publication Year1973
Total Pages382
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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