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अपभ्रंश कथा : परिभाषा, व्याप्ति और वर्गीकरण : २४३ कराया । सूकण्ठ के पुत्र वज्रकण्ठ को राज्य सौंपकर उसकी पुत्री रुक्मिणी से विवाह किया तथा गजपूर लौटकर अभिचन्द्र की पुत्री चन्द्रा के साथ उन सातों राजकुमारियों का वरण किया ।। ७ ।। ... इधर महाव्याल बहुत समय से गणिकासुन्दरी के साथ पाटलिपुत्र में आनन्द कर रहा था। एक दिन एक यात्री द्वारा उसे ज्ञात हुआ कि दक्षिण मदुरा के राजा पांड्या की अवैध पत्नी की पुत्रो को कोई वर ही पसन्द नहीं आता। वह मदुरा पहुँचा और सड़क पर एक कुंवारी कन्या द्वारा देखा गया। वह यात्री से प्रभावित हुई और अपने कर्मचारियों से यात्री को पकड़ लाने के लिए कहा। यात्री ने सभी को मार दिया। इस पर लड़की द्वारा वह पुरस्कृत हुआ। इसी प्रकार एक दिन उसे एक यात्री से मालूम हुआ कि उज्जैन की राजकुमारी को कोई आदमी पसन्द नहीं है। महाव्याल ने राजा पांड्या से उज्जैन जाने को अपनी इच्छा व्यक्त की । वह उज्जैन आया और अन्य विवाहेच्छुकों के साथ महल में गया । राजकुमारी ने दूर बालकनी से ही उसे देखकर अस्वीकार कर दिया। अतः वह अपने बड़े भाई के पास गजपूर आया और नागकुमार का चित्र लेकर पुनः उज्जैन पहुंचा। चित्र देखकर राजकुमारी मोहित हो गई। नागकुमार के साथ उसका विवाह हुआ। . नागकुमार ने महाव्याल से उसको दक्षिण-यात्रा का कोई आश्चर्य पूछा । उसने बताया कि किष्किन्धा-मलाया में मेघपुर के राजा को कन्या ने प्रतिज्ञा की है कि जो उसे नृत्य करते हुए मृदंग से हरा देगा वह उसी का
वरण करेगी। नागकुमार सुनते ही वहाँ गया और उससे विवाह किया। • एक दिन एक सौदागर मेघपुर उसके ससुर के यहाँ उपहारों के साथ
आया और नागकुमार से कहा कि तोयावलो द्वीप में एक जिनमन्दिर है '. और वहाँ एक वृक्ष पर कुछ कुमारियाँ सहायता के लिए चिल्ला रही थीं।
वे एक विद्याधर के संरक्षण में थों जो कि उन्हें किसी से वार्तालाप की अनुमति नहीं दे रहा था। नागकुमार ने सुदर्शना का स्मरण किया और वह अविलम्ब उपस्थित हुई। उससे विद्याएँ लेकर वह तोयावली द्वीप पहुँचा और प्रथम जिनमन्दिर में पूजन किया। उन कुमारियों में से बड़ी ने उसे बताया कि भूमितिलक के राजा श्रीरक्ष के ५०० पुत्रियाँ थीं जिनको कि उनके भान्जे ने कत्ल कर दिया और उन्हें तथा उनके दो भाइयों को जेल में डाल दिया। नागकुमार ने अचय और अभय को