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________________ . .. अपभ्रंश कथा : परिभाषा, व्याप्ति और वर्गीकरण : २३९ बरो लगी और उसने रानी से उसके आभूषण लेकर दंडित किया । नागकुमार को जब यह पता चला तो वह द्यूतभवन गया और वहाँ से बहुत से रत्नाभूषण जीतकर लाया और अपनी माँ को दिये। दूसरे दिन राजा ने उस भवन में अनेक आभषणों को नहीं पाया। जब उसे पता चला कि राजकुमार जीतकर ले गए तो वह बहत प्रभावित हआ। राजा ने राजकुमार को अपने साथ जुआ खेलने को आमन्त्रित किया। राजा अपना सब कुछ हार गया परन्तु राजकुमार ने अपनी माँ के आभूषणों के अतिरिक्त सब वापिस कर दिया। इसके बाद एक दिन राजकूमार को एक उद्धत घोड़ा दिया जाता है जिसे राजकुमार ठीक कर लेता है। नागकुमार की शक्ति को देखकर उसका सौतेला भाई ‘श्रीधर उससे जलने लगता है। वह सोचता है कि नाग के रहते राज्य उसे नहीं मिल सकता। अतः वह उसे मरवाना चाहता है। जब राजा को यह पता चलता है तो उसे बहुत धक्का लगता है और वह नागकुमार को अलग भवन में रहने की व्यवस्था कर देता है। एक दिन नगर में जंगली हाथी ने आकर आतंक फैला दिया। श्रीधर हाथी को मारने के प्रयास में पूर्णतः विफल हुआ। राजा स्वयं • हाथी को मारने चला तो रानियों को घबराहट होने लगो। अंत में मल्लयुद्ध में प्रवीण नागकुमार ने हाथी को इस प्रकार उठा लिया जैसे कि कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत उठा लिया था। सभी लोग आश्चर्यचकित हो गए। . इसी समय उत्तरी मथुरा में जयवर्मा अपनी रानी जयावती के साथ राज्य करता था। उसके व्याल और महाव्याल नामक दो ज्ञानवान् पुत्र थे। उनमें से एक शिव के समान त्रिनेत्र था और दूसरा अद्वितीय सुन्दर था। एक बार राजधानी में एक साधु आया जिससे राजा ने अपने पुत्रों के भविष्य के विषय में प्रश्न किये। कुछ समय बाद राजा ने अपना राज्य पुत्रों को सौंप दिया और स्वयं साधु हो गया। दोनों भाई राज्यसुख का आनन्द ले रहे थे। इसी बीच पाटलिपुत्र के राजा श्रीवर्मा को पुत्री की सुन्दरता की ख्याति दोनों भाइयों ने सूनी। दोनों भाइयों ने अपना राज्य मन्त्री के पुत्र दूर्वाकन को सौंप दिया और स्वयं पाटलिपुत्र चले गए । वहाँ गणिकासुन्दरी ने छोटे भाई और सुरसुन्दरी ने बड़े भाई से
SR No.002250
Book TitleApbhramsa Kathakavya evam Hindi Premakhyanak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPremchand Jain
PublisherSohanlal Jain Dharm Pracharak Samiti
Publication Year1973
Total Pages382
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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