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________________ ३०. , ३६. " २१२ : अपभ्रंश कथाकाव्य एवं हिन्दी प्रेमाख्यानक पुराण का नाम लेखक समय २६. पाण्डवपुराण भ० वादिचन्द्र २७. पार्श्वपुराण ( अपभ्रंश) पद्मकीर्ति ९९९ २८. , कवि रइधू १५-१६वीं शती २९. , चन्द्रकीर्ति . १६५४ ... वादिचन्द्र १६५८ .. ३१. महापुराण आचार्य मल्लिषेण ११०४ .. ३२. , (अपभ्रंश) महाकवि पुष्पदंत ३३. मल्लिनाथपुराण ( कन्नड़) कवि नागचन्द्र ३४. पुराणसार श्रीचन्द्र ३५. महावीरपुराण कवि असग भ सकलकीति १५वीं शती. ३७. मल्लिनाथपुराण ३८. मुनिसुव्रतपुराण ब्रह्म कृष्णदास भ० सुरेन्द्रकीति ४०. वागर्थसंग्रहपुराण कवि परमेष्ठी जिनसेन से पूर्व ४१. शान्तिनाथपुराण कवि असग. १०वीं शती . भ० श्रीभूषण ' १६५९ ४३. श्रीपुराण भ० गुणभद्र ४४. हरिवंशपुराण पन्नाटसंघीय जिनसेन ७०५ शक सं० ४५. हरिवंशपुराण ( अपभ्रंश) स्वयंभूदेव चतुर्मुखदेव ब्र० जिनदास १५-१६वीं शती ( अपभ्रंश) भ० यशःकीति १५०७ भ० श्रुतकीर्ति १५५२ कवि रइधू १५-१६वीं शती भ० धर्मकीर्ति १६७१ । कवि रामचन्द्र १५६० से पूर्व ____ उपर्युक्त पुराणों की सूची में बारह पुराण अपभ्रंश भाषा में लिखित हैं । वास्तव में पुराणों की रचना धर्म से सम्बन्धित है परन्तु धर्म कथासाहित्य में कोई प्रत्यवाय उपस्थित नहीं करता। जैनों के पुराण-साहित्य ४९. ॥ ॥ ५१. "
SR No.002250
Book TitleApbhramsa Kathakavya evam Hindi Premakhyanak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPremchand Jain
PublisherSohanlal Jain Dharm Pracharak Samiti
Publication Year1973
Total Pages382
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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