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. २०८ : अपभ्रंश कथाकाव्य एवं हिन्दी प्रेमाख्यानक
हिन्दू धर्मानुसार पुराणों की संख्या अठारह मानी गई है :
१. ब्रह्मपुराण, २. पद्मपुराण, ३. विष्णुपुराण, ४. शिवपुराण, ५. श्रीमद्भागवतपुराण, ६. नारदपुराण, ७. मार्कण्डेयपुराण, ८. अग्निपुराण,९. भविष्यपुराण, १०. ब्रह्मवैवर्तपुराण, ११. लिंगपुराण, १२. वराहपुराण, १३. स्कंदपुराण, १४. वामनपुराण, १५. कूर्मपुराण, १६. मत्स्यपुराण, १७. गरुडपुराण, १८. ब्रह्माण्डपुराण।' गणेशपुराण और मुद्गलपुराण ये दो उपपुराण हैं। - जैन पुराण-साहित्य में पुराणों की संख्या निर्धारित नहीं है। फिर भी यह मान्य है कि सठ शलाका पुरुषों अथवा महापुरुषों के जीवनचरित को उद्घाटित करने वाली कथा ही पुराण-कथा होती है। ये त्रेसठ शलाका पुरुष प्रत्येक काल में अलग-अलग होते हैं । जैनों के वर्तमान शलाका पुरुषों में २४ तीर्थंकर, १२ चक्रवर्ती, ९ वासुदेव, ९ बलदेव और ९ प्रतिवासुदेवों को गणना की जाती है ।
तीर्थंकर : १. ऋषभनाथ, २. अजितनाथ, ३. संभवनाथ, ४. अभिनंदननाथ, ५. सुमतिनाथ, ६. पद्मप्रभ, ७. सुपार्श्वनाथ, ८. चंद्रप्रभ, ९. पुष्पदन्त, १०. शीतलनाथ, ११. श्रेयांसनाथ, १२. वासुपूज्य, १३. विमलनाथ, १४. अनंतनाथ, १५. धर्मनाथ, १६. शांतिनाथ, १७. कुंथुनाथ, १८. अरहनाथ, १९. मल्लिनाथ, २०. मुनिसुव्रतनाथ, २१. नमिनाथ, २२. नेमिनाथ, २३. पार्श्वनाथ, २४. महावीर । ___ चक्रवर्ती : १. भरत, २. सगर, ३. मघवा, ४. सनत्कुमार, ५. शांति, ६. कुंथु, ७. अर, ८.सुभौम, ९. पद्म, १०.हरिषेण, ११. जय. १२. ब्रह्मदत्त।
वासुदेव : १. त्रिपृष्ठ, २. द्विपृष्ठ, ३. स्वयंभू , ४. पुरुषोत्तम, ५. पुरुषसिंह, ६. पुंडरोक, ७. दत्त, ८. लक्ष्मण, ९. कृष्ण ।'
बलदेव : १. अचल, २. विजय, ३. भद्र, ४. सुप्रभ, ५. सुदर्शन, ६. आनंद, ७. नंदन, ८. पद्म अथवा राम, ९ बलराम ।
प्रतिवासुदेव : १. अश्वग्रीव, २. तारक, ३. मेरक, ४. मधु, ५. निशुंभ, ६. बलि, ५. प्रहलाद, ८. रावण, ९. मगधेश्वर जरासंध । १. हिन्दी विश्वकोश, खंड ७, पृ० २४८. २. वही, पृ० २६०-६१. ३-६. अभिधानचिन्तामणि, श्लो० ६९२-६९९.