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________________ .२०४ : अपभ्रंश कथाकाव्य एवं हिन्दी प्रेमाख्यानक जी ने कथाकाव्य मानते हुए लिखा है कि 'पृथ्वीराजरासो आरम्भ में ऐसा कथाकाव्य था जो प्रधानरूप से उद्धत प्रयोग प्रधान मसण प्रयोग युक्त गेयरूपक था।'' अपभ्रंश में संदेशरासक और पुरानी हिन्दी का वीसलदेवरासो शुद्ध मसण रासक है। हिन्दी में आगे चलकर उद्धत रासो की परम्परा ही फूली-फलो। रासो संज्ञक रचनाओं में ही कहीं उन्हें चरित, कहीं चौपाई, कहीं कथा तथा कहीं रास नाम दिए गये हैं। १५वीं शताब्दी के बाद के रास काव्यों में चरित्र-वर्णन की परिपाटी चल पड़ी थी। समयसुन्दर ने अपने चार ‘रास' ग्रन्थों में से एक को कथा, एक को प्रबन्ध और चारों को चौपाईबन्ध करने का उल्लेख किया है : सांव पजुनक कथा सरस प्रत्येक बुद्ध प्रबन्ध । नलदमयंती मृगावती चउपई चार सम्बन्ध ॥ . -सोतारामचउपई. . ___ इस प्रकार अनेक जैन रासग्रन्थों में प्रेम-कथानकों के माध्यम से जैन सिद्धान्तों का प्रतिपादन किया गया है। यहाँ मानकविकृत हंसराजवच्छराज रास की संक्षिप्त कथा द्वारा यह भलीभांति स्पष्ट हो जायेगा कि इस प्रकार को रचनाएँ कथाकाव्य के अतिरिक्त कुछ नहीं हैं । कथा का संक्षेप इस प्रकार है-नरवाहन नामक जम्बूद्वीप का एक राजा था। उसके सालिवाहन नाम का एक पुत्र और शक्तिकुमार नाम का छोटा भाई था। एक बार राजा को स्वप्न में परमसुन्दरी के दर्शन हए । राजा सुखद स्वप्न के कारण अधिक देर तक उसी में निमग्न सोता रहा। मन्त्री ने राजा की निद्रा भंग कर दी। अतः वह राजा का कोपभाजन हुआ। राजा ने मन्त्री को आदेश दिया कि वह स्वप्न में देखी गई कन्या को एक माह के अन्दर उसके समक्ष प्रस्तुत करे। मन्त्री का सारा सुख-चैन जाता रहा। विभिन्न सूत्रों से उसे पता चला कि कणयापुर को हंसाउली नामक राजकुमारी परम सुन्दरी है परन्तु वहाँ तक पहुँचने के लिए ही तीन माह की अवधि चाहिए थी। मंत्री ने राजकार्य राजा के छोटे भाई शक्तिकुमार को सौंपकर स्वयं जोगी का भेष रमाया । वह किसी प्रकार कणयापुर १. पं० हजारीप्रसाद द्विवेदी, हिन्दी साहित्य का आदिकाल, पृ० ६०. २. डा० रामबाबू शर्मा, हिन्दी काव्यरूपों का अध्ययन, पृ० १७०. ३. वही.
SR No.002250
Book TitleApbhramsa Kathakavya evam Hindi Premakhyanak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPremchand Jain
PublisherSohanlal Jain Dharm Pracharak Samiti
Publication Year1973
Total Pages382
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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