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________________ १८६ : अपभ्रंश कथाकाव्य एवं हिन्दी प्रेमाख्यानक प्रथम सन्धि समाप्त होने पर लिखते हैं- 'इय मयणपराजयचरिए हरि - एवकइ विरइए मयणरायवण्णणोणाय पढमो संधी परिछेउ समत्तो' अर्थात् ' इस प्रकार हरिदेव कविकृत मदनपराजयचरित्र में मदनराज - वर्णन नामक प्रथम सन्धि परिच्छेद समाप्त हुआ ।' इसमें कवि ने सूचित कर दिया कि प्रथम परिच्छेद में मदनराज का सविस्तार वर्णन किया गया है । इसी प्रकार अन्य अपभ्रंश प्राकृत और संस्कृत की रचनाओं में देखा जा सकता है । जहाँ तक सूफ़ी सिद्धान्त का सवाल है उसमें विदेशी प्रभाव का पाया जाना स्वाभाविक है। बिना खींचा-तानी के यह कहना ठीक और न्यायसंगत होगा कि सूफ़ी काव्यों का मुख्य उपादान भारतीय है । सूफ़ियों ने जिन प्रतीकों को अपने काव्यों का उपादान बनाया वे भारतीय चिन्तनधारा के ही प्रतीक हैं । डा० वीरेन्द्र सिंह का कथन इस संदर्भ में महत्त्वपूर्ण है। सूफ़ियों ने 'जिन भारतीय चिन्तन पर आश्रित प्रतीकों को ग्रहण किया है उन्हें उन्होंने अधिकतर भारतीय रूप में हो चित्रित किया है । दूसरी ओर अपने सूफ़ी प्रतीकों को भारतीय वातावरण के अनुकूल रूपांतरित किया है । उनकी गाथाओं में जो भी पात्र हैं। सूफी प्रभाव से कहीं अधिक भारतीय प्रभाव के द्योतक हैं । उनके योगपरक प्रतीकों में भारतीय प्रणय-भावना तथा वस्तुएँ ही अधिक हैं । उनके तत्त्वनिर्देशों में वेदान्त, योग तथा सूफ़ी विचारधाराओं का समन्वय है और उनकी वर्णन शैली पर भारतीय प्रभाव है ।" मूलतः प्रतीकों की भारतीय परम्परा हो थी । वैदिक, उपनिषद्, पुराण और जैन-बौद्ध एवं सिद्ध साहित्य आदि भारतीय साहित्य में प्रतीकों की योजना को स्थान दिया गया है। वैदिक ऋषियों ने अग्नि, वायु, आकाश, मेघ, सूर्य आदि को प्रकृति के प्रकोप का रूप समझकर प्रतीक के रूप में इन्हें स्तुत्य कहा । वेद में संसार, आत्मा एवं परमात्मा को एक रूपक द्वारा समझाया गया है, वह प्रतीकात्मक ही तो है । एक वृक्ष पर दो पक्षी रहते हैं। उनमें से एक स्वादिष्ट फल खाता है तथा दूसरा पक्षी कुछ खाता नहीं, बस देखता भर है : १. डा० वीरेन्द्र सिंह, हिन्दी काव्य में प्रतीकवाद का विकास, पृ० २६२-६३.
SR No.002250
Book TitleApbhramsa Kathakavya evam Hindi Premakhyanak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPremchand Jain
PublisherSohanlal Jain Dharm Pracharak Samiti
Publication Year1973
Total Pages382
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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