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. हिन्दी प्रेमाख्यानकों का शिल्प : १५१
कूद मांस धर तोरब, रकत भरब लै कुण्ड।
आठ मांस धरि जेंवत, सात मांस लहि मुण्ड ॥ पृ०१५९. इन सब वर्णनों के मिले-जुले रूप को देखकर यह अनुमान करने में कठिनाई नहीं होती कि हिन्दी प्रेमाख्यानकों के अन्तर्गत आनेवाला वस्तुवर्णन-शिल्प अपभ्रंश चरितकाव्यों की शैली से अधिक भिन्न नहीं है। इसे हम आगे तुलनात्मक रूप से प्रस्तुत करेंगे।