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________________ हिन्दी प्रेमाख्यानकों का शिल्प : १३५ ___४. मधु द्वारा मालतो को वैषम्य के विषय में मृग और सिंहनी की कथा द्वारा समाधान करना । परन्तु मालती का भी अपने पक्ष के समर्थन में दृष्टान्त देना। ५. मधु का हठ और नंद के यहाँ पढ़ना बंद करना। ६. मध का गुलेल लेकर रामसरोवर पर विनोदार्थ जाने लगना । वहाँ नगर की अन्य स्त्रियों का पानी भरने के बहाने आना तथा मधु को चाहने लगना। ७. मालती भी अपनो सखी जैतमाल के साथ रामसरोवर आने लगी और व्यंग्य करने लगी। ८. मालती द्वारा मधु को पूर्वभव का स्मरण कराना। ९. मालती द्वारा मधु पर वशीकरण मन्त्रों का प्रयोग और गठबन्धन। १०. नवदम्पति का वाटिका में रहने लगना और माली द्वारा राजा को सूचना । राजा ने दोनों के वध का निश्चय किया। ११. मालती ने भागने को सलाह दी। परन्तु मधु ने अस्वीकार किया और श्रीहरि, सूर्य और शंकर से प्रार्थना की। शंकरजी ने रक्षा का वचन दिया। . १२. राजा द्वारा वध का प्रयास, मधु द्वारा सभी निष्फल कर दिये गए। • १३. राजा ने पुनः विराट सेना भेजी । मालती ने केशव का स्मरण ... किया। केशव ने रक्षार्थ दो भारंड पक्षियों को भेज दिया। शिव-दुर्गा ने एक . . . सिंह भेज दिया। इस प्रकार राजा की चर्म-मंडित सेना भी भाग गई। १४. दुर्गा ने प्रकट होकर राजा की भल बताई। राजा ने क्षमा..' याचना की और मालती तथा जैतमाल का मधु के साथ विवाह किया। छिताईवार्ता की कथानक-रूढ़ियाँ १. चित्रकला के प्रदर्शन के लिए रामदेव राजा द्वारा नवीन प्रासाद में चित्रशाला का निर्माण कराया जाना। राजकन्या छिताई का चित्रशाला देखने आना । उसके सौंदर्य को देखकर चित्रकार का मूच्छित होना । । ___२. छिताई के पति सोरंसी का मृगया के लिए जाना । मृग भर्तृहरि के आश्रम में पहुँचा । उनके निषेध करने पर भी सोरंसी ने मृग को नहीं छोड़ा तो उन्होंने छिताई के अन्य पुरुष के वश में होने का शाप दे दिया।
SR No.002250
Book TitleApbhramsa Kathakavya evam Hindi Premakhyanak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPremchand Jain
PublisherSohanlal Jain Dharm Pracharak Samiti
Publication Year1973
Total Pages382
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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