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________________ • १३४ : अपभ्रंश कथाकाव्य एवं हिन्दी प्रेमाख्यानक गया है। २. सिद्धनाथ नामक योगी कापालिक आकाश मार्ग से गमन करता और सर्वत्र उत्पात मचाता है । ३. पद्मावती नामक राजकुमारी को प्राप्त करने के लिए उसने एक सौ राजाओं के शिरोच्छेदन का प्रण किया और सबका अपहरण करके अपने उद्देश्य की पूति के लिए एक कुएँ में डाल दिया। ___४. लक्ष्मणसेन को भा छल करके सिद्धनाथ ने कुएँ में डाल दिया। ५. लक्ष्मणसेन ने सभी राजाओं को मुक्त किया। इस पराक्रम से वह अत्यधिक थक गया और प्यास से व्याकुल हो जल को तलाश में सामोर नगर के पास एक सरोवर के तट पर पहुँचा। वहाँ पद्मावती के साक्षात् दर्शन से उसके प्रति आकृष्ट हुआ। . ६. कवि ने पद्मिनी, चित्रणो, शंखिनी और हस्तिनी के भेद से: स्त्रियों का परिचय कराया है। ७. पद्मावती के स्वयंवर में लक्ष्मणसेन ने ब्राह्मण के वेष में सभी राजाओं को परास्त करके पद्मावती का वरण किया। ८. योगी ने राजा से पद्मावती के प्रथम पुत्र को याचना की। पुत्रोत्पत्ति के बाद राजा का पुत्र के साथ योगो के पास पहुँचना । योगी के आदेशानुसार पुत्र के चार टुकड़े करना। कटे हुए टुकड़े चमत्कारिक ढंग से खड्ग, धनुष-बाण, वस्त्र और कन्या में परिवर्तित । . ९. राजा का पागल होना और जंगल में जाना। एक धनकुबेर के लड़के की डूबने से रक्षा की और उसका कृपापात्र बना। १०. धारानगर की राजकुमारो से प्रेम और विवाह । चतुर्भुजदासकृत मधुमालतीवार्ता की कथानक-रूढ़ियाँ १. मंगलाचरण के रूप में गणेश जी की वंदना। २. राजा को पुत्री और उसी के मंत्री का पुत्र । दोनों का रामसरोवर पर जाना और एक-दूसरे के प्रति आकर्षण । ३. पुरोहित नंद के यहाँ राजकुमारी और मंत्रीपुत्र का पढ़ने जाना। गुरु को अनुपस्थिति में राजकुमारी मालती का पर्दा हटाकर मधु को देखना और उससे प्रेम प्रस्ताव करना।
SR No.002250
Book TitleApbhramsa Kathakavya evam Hindi Premakhyanak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPremchand Jain
PublisherSohanlal Jain Dharm Pracharak Samiti
Publication Year1973
Total Pages382
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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