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हिन्दी प्रेमाख्यानकों का शिल्प : १३१
पदमावत में कथानक रूढ़ियाँ
१. सिंहलदीप ।
२. संदेशवाहक शुक |
३. शुक का पकड़ा जाना और चित्तौड़ के ब्राह्मण द्वारा खरीदना । ४. ब्राह्मण से राजा द्वारा क्रय किया जाना ।
५. रानी द्वारा पद्मिनी के सौतरूप में आगमन की आशंका से शुक को मारने का असफल प्रयास ।
६. एक राजा द्वारा शुक से पद्मिनी का रूप वर्णन सुना जाना और मोहित होना ।
७. राजा द्वारा पहली रानी, राज्यादि का त्यागकर शुक का अनुगमन
करना ।
८. राजा नौका से सात समुद्र पार करता है ।
९. सिंहल के अगम्य गढ़ में रानी का निवास ।
१०. शिव मंदिर में राजा की तपस्या और वसंतपंचमी के दिन पद्मिनी का आगमन |
११. राजा का मूच्छित होना और पद्मिनी का राजा की छाती पर कुछ संदेश लिखकर जाना ।
१२. सुध आने पर राजा का दुःख |
१३.. राजा की प्रेम परीक्षा - पार्वती द्वारा |
१४. महादेव जी द्वारा गढ़ का मार्ग बताना और सिद्धि प्रदान
करना ।
१५. गढ़ पर चढ़ाई, अगाध कुंड में प्रवेश कर वज्र किवाड़ों को . खोलना ।
१६. राजा का महल में पकड़ा जाना और सूली पर चढ़ाने का आदेश ।
१७. शिव-पार्वती का वेश बदलकर पद्मिनी के पिता को समझाना और उसका न मानना ।
१८. युद्ध की घोषणा, जोगी राजा की ओर से हनुमान, विष्णु और शिव को देख पद्मिनी के पिता का हार मानना ।
१९. पद्मावती रत्नसेन की हुई ।
२०. नागमती ने पक्षी द्वारा रतनसेन को अपना संदेश भेजा ।