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________________ ९८ : अपभ्रंश कथाकाव्य एवं हिन्दी प्रेमाख्यानक दृष्टिकोण शिल्प का मूलभूत सिद्धान्त है । एक या दूसरे दृष्टिकोणं को ग्रहण करने में विषयवस्तु, चरित्र-चित्रण, वातावरण, विस्तार सभी कुछ सीमा तक निश्चित होते हैं।'' ___ ल्यूबक ने रचना के रूपाकार ( फार्म ) को रचनाकार के विचारों या उद्देश्यों का साधन माना है ।२ शिल्प का अर्थ करते हुए पं० सीताराम चतुर्वेदी लिखते हैं-'किसी भी कलाकृति में विशेष सौन्दर्य उत्पन्न करने का जो बौद्धिक नियोजन किया जाता है उसी को कौशल कहते हैं।'' यह शीर्षक-कौशल, इतिवृत्त-पुरुष-कौशल, रूपकौशल,प्रबन्ध-कौशल. पात्रयोजना-कौशल,लक्ष्य-कौशल और वर्णन-कौशल के रूप में आयोजित किया जाता है। डा० नेमिचन्द्र शास्त्री 'टेकनिक' का स्थापत्य अर्थ करते हुए उसकी परिभाषा देते हैं कि 'चित्रकार ने जिस प्रयत्न के सहारे अपने चित्र को पूर्ण किया है, वह उसकी शैली माना जायेगा और भावाभिव्यक्ति की समस्त प्रक्रिया टेकनिक या स्थापत्य कहीं जायेगी। कथा में भावों को निश्चित रूप देने के लिये जो विधान प्रस्तुत किये जाते हैं, जिस प्रक्रिया . को अपनाया जाता है, वही उसका स्थापत्य है।' प्राकृत कथा-साहित्य के स्थापत्य पर विचार प्रस्तुत करते समय डा० नेमिचन्द्र शास्त्री ने प्राकृतकथाओं में प्रयुक्त स्थापत्यों का सविस्तार उल्लेख अपने शोध-प्रबन्ध में किया है। प्राकृत जैन कथा-साहित्य और अपभ्रंश जैन कथा-साहित्य की 1. The point of view, it is apparent, is the fundamental principle of technique in the novel structure. By the adaptation of one or another point of view, plot, characterisation, tone, description are all to some degree determined. -Carl H. Grabo, Technique of Novel, p. 81. 2. The form of the book depends on it (the intention of the novelists) and until it is known there is nothing to be said of form.---Lubbock, Craft of Fiction, p. 12. ३. पं० सीताराम चतुर्वेदी, शैली और कौशल, पृ० ३२. ४. वही, प० ४५५. ५. डा० नेमिचन्द्र शास्त्री, हरिभद्र के प्राकृत कथा-साहित्य का आलोचनात्मक परिशीलन, पृ० १२१.
SR No.002250
Book TitleApbhramsa Kathakavya evam Hindi Premakhyanak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorPremchand Jain
PublisherSohanlal Jain Dharm Pracharak Samiti
Publication Year1973
Total Pages382
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size6 MB
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