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समाजशास्त्र तर्कशास्त्र, मनोविज्ञान गणित, ज्योतिष, परामनोविज्ञान, राजनीति, कला, नीति शास्त्र जैसे विषयों से सम्बंधित सामग्री भी प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है।
आचार्य भगवंत ने अपने इस ग्रंथ में धर्मेतर एवं दर्शनेतर विषय पर प्रकाश डालकर बहुत बड़ा उपकार किया है । यह विवरण अनुसंधानकर्ताओं के लिये अत्यंत उपयोगी रहेगा। यह भी विश्वास किया जाता है कि इस विवरण को देखकर जिज्ञासु विद्वान स्वतंत्र रूप से इन विषयों पर अनुसंधान करें। यदि कोई अनुसंधानकर्ता की दृष्टि इस ओर नहीं जाती है तो जैन विद्या में संलग्न विद्वान आचार्यों, मुनिराजों, विद्वानों और संस्थानों से विनम्र आग्रह है कि वे अब इस दिशा में योजनायें बनायें और इस कार्य को आगे बढ़ायें ताकि भ्रांत धारणाओं का खण्डन हो सके। ___अंत में मैं यही विश्वास करता हूँ कि आचार्य भगवंत ने जो दिशा प्रदान की है उसे आगे बढ़ाने का प्रयास किया जावेगा और आचार्य भगवंत से भी यही निवेदन है कि वे भी इस दिशा में उन विद्वानों को प्रेरणा प्रदान करें जो उनके सम्पर्क में है । आचार्य भगवंत से यह भी आशा है कि भविष्य में उनकी ओर से और भी महत्वपूर्ण ग्रंथ समाज को मिलते रहेंगे जो समाज का मार्गदर्शन करेंगे।
इसी आशा और विश्वास के साथउज्जैन १९ मई १९९४
डॉ. तेजसिंह गौड़