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________________ अनेक शोध स्नातकों ने अपने-अपने गवेषणापूर्ण शोध प्रबंध लिखकर इसके बहुआयामी दृष्टिकोणों में से किसी एक आयाम पर प्रकाश डाला है । संक्षेप में कहा जाए तो इसमें महत्वपूर्ण जैन सिद्धांतों का सारांश गर्भित कर दिया है। - उत्तराध्ययन के छत्तीस अध्ययनों के नाम और उनमें वर्णित विषय इस प्रकार १. विनय-विनीत और अविनीत के लक्षण एवं उनके परिणाम, साधक का कठिन कर्त्तव्य, गुरुधर्म, शिष्य, शिक्षा, चलते, उठते, बैठते एवं शिक्षा लेने के लिए जाते हुए साधु का आचरण। २. परीषह- विभिन्न परिस्थितियों में विभिन्न प्रकार के आगत आकस्मिक संकटों के समय भिक्षु को किस प्रकार सहिष्णु व शान्त बने रहना चाहिए। ३. चतुरंगीय-मनुष्यत्व, धर्मश्रवण, श्रद्धा संयम में पुरुषार्थ इन चार अंगों का क्रमपूर्वक निर्देश, संसार भ्रमण का कारण, धर्म कौन पाल सकता है, शुभ कर्मों का सुन्दर परिणाम। ४. असंस्कृत-जीवन की क्षण भंगुरता, दुष्कर्म का दुःखद परिणाम, कृत कर्मों का योग्य अवश्यंभावी है । प्रलोभनों में सजग रहना, स्वच्छंद प्रवृत्ति का नियंत्रण करने से मोक्ष प्राप्ति। ५. अकाम मरणीय- अज्ञानी का ध्येय शून्य मरण, क्रूरकर्मी का विलाप, भोगासक्ति का दुष्परिणाम, मृत्यु के समय, दुराचारी की स्थिति, गृहस्थ साधक की योग्यता, सच्चे संयम का प्रतिपादन, सदाचारी की गति, देवगति के सुखों का वर्णन, संयमी का सफल मरण। ६. क्षुल्लक निग्रन्थीय- धन, स्त्री, पुत्र, परिवार आदि मनुष्य के लिए शरणभूत नहीं होते, बाह्य परिग्रह का त्याग, प्राणिमात्र से मैत्री भाव, आचार शून्य विद्वता व्यर्थ है, संयमी की परिमितता। ७. एलय- योगी की बकरें से तुलना, अधमगति में जाने वाले जीव के लक्षण, लेशमात्र भूल का दुःखद परिणाम, मानव जीवन का कर्तव्य, काम भोगों की चंचलता। ८. कापिलीय- कपिल मुनि के पूर्व जन्म का वृत्तान्त, शुभ भावना के कारण पतन में से उत्थान, भिक्षुओं के लिए इनका सदुपदेश, सूक्ष्म अहिंसा का प्रतिपादन, जिन विद्याओं से मुनि का पतन हो, उनके त्याग का उपदेश, लोभ का परिणाम, तृष्णा का चित्रण, स्त्रीसंग का त्याग। ९. नमि प्रवज्या- नमि राजर्षि का अभिनिष्क्रमण मिथिला नगरी में हाहाकार, नमि राजर्षि और इंद्र के प्रश्नोत्तर और उनका सुन्दर समाधान । (१०३)
SR No.002248
Book TitleJain Agam Sahitya Ek Anushilan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayantsensuri
PublisherRaj Rajendra Prakashan Trust
Publication Year
Total Pages316
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari & agam_related_other_literature
File Size6 MB
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