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चरण करणानुयोग और धर्मकथानुयोग इन चार प्रकार के अनुयोगों का निरूपण किया गया है । उनमें से प्रज्ञापना में मुख्य रूप से द्रव्यानुयोग का वर्णन है तथा कहीं-कहीं चरण करणानुयोग और गणितानुयोग का भी निरुपण है । इसमें निम्नलिखित छत्तीस पदों का प्रतिपादन हैं
प्रज्ञापना, स्थान, बहुवक्तव्य (अल्प बहुत्व), स्थिति, विशेष, व्युत्क्रान्ति, उच्छवास, संज्ञा, योनि, चरम (चरमा चरम ) भाषा, शरीर, परिणाम, कषाय, इन्द्रिय, प्रयोग, लेश्या, कायस्थिति, सम्यक्त्व, अन्तक्रिया, अवगाहना, संस्थान, क्रिया, कर्मप्रकृति, कर्मबंधक, कर्मवेदक, वेद बंधक, आहार, उपयोग, पश्यता- दर्शनता, संज्ञा, संयम, अवधि, प्रविचारणा, वेदना और समुद्घात । इन पदों का विस्तृत वर्णन गौतम गणधर और भगवान महावीर के प्रश्नोत्तर रूप में किया गया हैं।
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प्रज्ञापना पद में प्रज्ञापना के दो भेद किये हैं- अजीव प्रज्ञापना और जीव प्रज्ञापना। अजीव प्रज्ञापना में धर्मास्तिकाय आदि पाँच अजीव द्रव्यों के भेद-प्रभेदों का वर्णन है । जीव प्रज्ञापना में जीवों के भेदों का सविस्तार वर्णन है । मनुष्यों के भेदों आर्य और म्लेच्छ आदि का भी संविस्तार से वर्णन किया गया है। स्थान पद पृथ्वीकाय से लेकर सिद्धों तक के स्थान का वर्णन है । अल्पबहुत्व पद में दिशा, गति, इन्द्रिय, कायद्वार आदि छब्बीस द्वारों से अल्पबहुत्व का विचार किया गया है और सत्ताईसवें महादंडक द्वार में सब जीवों का विस्तार पूर्वक अल्प बहुत्व कहा गया है । स्थिति पद द्वार में चौबीस दंडकों की अपेक्षा सब जीवों की जघन्य और उत्कृष्ट आयु का वर्णन है । विशेष पद-द्वार में जीव और अजीव की पर्यायों का वर्णन है । इसे पर्याय पद भी कहते हैं । व्युत्क्रान्ति पद में जीवों के उत्पात, उपपात तथा उद्वर्तना, परभव का आयुबंध इत्यादि बातों का विस्तार पूर्वक वर्णन किया गया है। चरमाचरम पद से रत्नप्रभा पृथ्वी आदि तथा परमाणु और परिमंडल आदि संस्थानों की अपेक्षा से चरम और अचरम का निरूपण हैं । भाषा पद में सत्य-असत्य भाषा आदि भाषा संबंधी भेदों का विचार किया गया है। भाषा के लिंग, वचन, उत्पत्ति आदि का और कैसी • भाषा बोलने वाला आराधक तथा कैसी भाषा बोलने वाला विराधक होता है और भाषा संबंधी आदि विषयों का विस्तार पूर्वक वर्णन है । शरीर पद में अल्पबहुत्व औदारिक आदि पाँच शरीरों का वर्णन है ।
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प्रथम बारह पदों के वर्ण्य विषयों का पूर्वोक्त प्रकार से संकेत करने के अनन्तर अब तेरह से लेकर चौबीस पद पर्यन्त के वर्ण्य विषयों की रूपरेखा प्रस्तुत करते हैं । परिणाम पद में जीव के दस परिणामों और अजीव के दस परिणामों का वर्णन । कषाय पद में कषायों के भेद, उत्पत्तिस्थान, आठ कर्मों के चय- उपचय आदि का वर्णन है । इन्द्रिय पद में इन्द्रियों के भेद, संस्थान, अवगाहना, प्रदेश, परिणाम, उपयोग
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