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... श्री देलुल्लापुरस्तोत्रादि-मन्त्रविधिसहितानि
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वाडति च उदभवन पउडति गिरिसीखरत उडन्ति कउजाल प्रजन्ति कांन कुडल कमिगति कातिजबकंति सात समुद्रस उसति मुचुक्रबालंति बहुदउख निग्रहति चालहो स्वामि षउडीयाषेत्रपाल यश्वरजगनाथतणा पुत्रक्षीणमात्र एक तिहां हु""उचालि उजेणी नगरी पाहु ठः पीडहरी सिधांदेवि सिद्धवडा सिधषेत्र तिहांहुत उ उभिचावलि चालति घूघरवाजति अरहरमालापावडि पाडन्ति शाकनि सीहारितणा गर्भगालंति मोगा मारंति चापवीरा धा विरहाकउ लिप्रसंस्यउ बउ लिलाइ लागी चलावि उचाली ४८ दोषनीग्रही मनपवत्तवेली वालि दुषदउष जांणि पातालीघालि बलकरि छीमृकरि जांणकरि चीन्नाणकरि वेधकरि अपर्वेधरिचाचरी जइ मण्डलि जइ घालि रुपरावर्त - करी हसी रोद्र छल जउई छिमजोइ डाकणि वेध शाकणि वधामोगावु वंची मोगी वंधी भूतप्रेत वंधी वधाकरी तारापावह ठोगालि बाप प्रचण्ड चीर षउडीयाषेशपालनि सक्त फुरइ प्रथमं १०८ होम वार २१ कणयररा २१ गुगलगोली २१ उडदतेल चउपडि कृष्णचतुर्दसीदिने अभिधानं कृत्वा पात्राग्रे होम चउदसि सात लग होम क्रोयते •षेत्रपालादय उ यांति १०८ कर्णवीर रविदिन नीत्त उपरीरहा मूकाबीइं ते सर्व पाकमध्ये क्षेपते दोषनासाय १०८ कुपवारिउ बीन
'लोहकारन उवीर सिराणियानवीर कुभकारनुवीर सूत्र धारनू वीरणभिस्नानं कार्यते नदेषेउ
पाणिवार शदत्यस्तम्भ १५ ॐ नमोउकुकरि षेत्रपाल कणयरे वर्ण रुद्र विकराल अमंकरइ आल्मऽल तेहसीरउ ठवइ ब्रह्मचाल अम स्पुकरइ तेमर प्रभु तउरी प्रज्ञापुरइ च च र र जउवामसप्तम धूलि