SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 181
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १७४] मन्त्रकल्प संग्रह शमसान भूति पत्माल्य श्यामां शुकपाटली काइनु भूतनि वेवंध अर्थचार उन्मोलंकामहि घर हरइ हणूमइ महरणेइ हुबीहु रतिसमांण सह जज जिहां मकरेइ स्थाले लवणषडनारि नामउ लिषीत्वा उपरिजन भाजनमापूर्य १०८ लवणषांडानीकरकृता एनश्लोक भणित्वा ऋतुनाम मनसिव्यंतहोम जलनषिषश्यानु कुलो भवति दृष्ट प्रत्यइ गवरीपुत्र बीरणायुगवाहणा भूसो । चडिआय मुसे साह लुपदीये ठोडी अवरभूतचावि अनया गाथा ६४ वरानभी मंत्र्य तील वटो मुष काममनस्थानेऽकं वारमुच्यते तदुपइउ भवति ॐ नमो उहगुमभाए अंजण पुत्र बाल ब्रह्मचारिणो य काचीलाग छिनर कट्टय २ स्वाहावार २१ तेलमभि मंत्रय जलमुक्ताचार्यते लागचीरण मंत्र उह रः हरः हुहः हुताशुकि १०५ पुर्यशत्पत्रीषुल उके बुलउरु'चभासइ अरिहा सचंभासह कवलाभयवं एएणसचवाए एवं नमीत माव्यं भवतु स्वाहा वार ७ ॐ ही वस्त्र प्रातलीषत्वा श्रनेन मंत्रेण द्वयक्षररुपेणाभिमंत्रंत ते वस्त्रं १७ पंचमीदेवय संग्रह तत्यजति तस्यग्नीहरेरवीवारेग्राम प्रदक्षणा पुर्वचतुष्मानियानसमागच्छन्ति तेषां धूलिर्गृह्यते तयासोध्यं बध्यते पद्या तस्याति ॐनमो प्राधायाकहइषरकाठउ' षरकरपटु परउ विष धारउ ठठः स्वाहा. वार २१ कटारिकयाछुरीमभिमंत्रयपन्यास उपरि विष्टस्य पुसोदियत पेटुचीयांति मीनउरालिमिठउत ेल नोकलिपाइया माधलेइ वार १०८ छरोकयाभिल्ममभीमंत्र्य तदुहरे पृछापवभ्यं भोसुष प्रसव ।। २३ ।। २४ ।
SR No.002243
Book TitleMantrakalpa Sangraha tatha Gandhar Jayghoshstotradi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKalyanvijay Gani
PublisherMandavala Jain Sangh
Publication Year1974
Total Pages184
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy