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________________ बौद्ध और जैनदर्शन के विविध आयाम काम) का बोझ भी उठाती हैं । इसी दोहरे बोझ के कारण उनके लिये बेहतर नौकरियां, बेहतर प्रशिक्षण हासिल करना अथवा व्यावसायिक सीढी पर दूसरों से आगे बढना कठिन हो जाता है। शिक्षा के कम मौके मिलने की वजह से प्रायः कम तनख्वाह और कम दक्षता वाले काम ही स्त्रियों के हिस्से आतें हैं । इस संब के बावजूद इसका कोई प्रमाण नहीं है कि स्त्रियां पुरुषों से कम उत्पादन करती हैं। कुछ लोगों का तो यह मानना है कि स्त्रियां पुरुषों से अधिक काम करती हैं, क्योंकि वे काम लगन से करती हैं, चाय और सिगरेटबाजी कम करती हैं, यूनियन आदि के चक्कर में नहीं पडती हैं... आदि । ५२. इस प्रकार के विकास और आधुनिकीकरण ने स्त्रियों पर होनेवाली हिंसा को बढाया है। घरों में स्त्रियों की मारपीट, बलात्कार, बहुओं को जलाना आदि आदि आज पहले से ज्यादा हुए लगते हैं । इसी कारण यह आवश्यक हो जाता है कि जहां कहीं विकास स्त्रियों कें विरुद्ध जा रहा है, नारीवादी उसे ओर ध्यान दिलाएं तथा बेहतर नीतियों और कार्यक्रमों की मांग करें । देश में औरत अगर बेआबरु नाशाद है दिल पे रखकर हाथ कहिए देश क्या आजाद है ? "औरतों की जिन्दगी कोख के अन्धेरे से कब्र के अंधेरे का सफर है ।" ( कमला भसीन ) - (अमृता प्रीतम
SR No.002239
Book TitleBauddh aur Jain Darshan ke Vividh Aayam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNiranjana Vora
PublisherNiranjana Vora
Publication Year2010
Total Pages130
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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