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________________ नारीवादी आंदोलन और भारत में महिलाओं की स्थिति जुड़े है। सब्जी बेजने वाली, बोझा ढोने वाली, बीडी कामगार, हस्तकला उद्योगों में लगी महिलाएं आदि की बेहतर आर्थिक और सामाजिक स्थितियों के लिए इन्होंने प्रयास किया है । तमाम छोटे-मोटे कामों में लगी महिलाएं सेवा से जुडीं। ... महिला आंदोलन के प्रभावों व दबावों के कारण राष्ट्रीय स्तर पर महिलाओं के विकास और महिलाओं के सशक्तीकरण के मुद्दों को मुख्यधारा में लाने की कोशिश चल रही है। राष्ट्रीय महिला आयोग की स्थापना महिलाओं के साथ भेदभाव दूर करने और न्याय दिलाने के लिए हुई । गैर सरकारी संगठनों ने अपने सभी कार्यक्रमों में महिलाओं व लिंग के मुद्दों के महत्त्व को स्वीकार किया है। परन्तु क्या यह संघर्ष आज के युग में भी संगत है ? आखिर आज स्त्रियों को अनेक लोकतांत्रिक अधिकार मिल चुके हैं - शिक्षा, रोजगार, मताधिकार आदि। क्या अब भी नारीवाद की जरूरत है ? __हां यह सच है कि पिछले दो सौ वर्षों में स्त्रियों ने बहुत से क्षेत्रों में काफी तरक्की की हैं। कुछ औरतों के लिये कुछ सामाजिक बन्धन भी कम हुए हैं। कई कानून भी बदलें हैं। हमारे संविधान ने काफि हद तक औरतों को बराबर का दर्जा दिया है, परन्तु इस सब के बावजूद आज भी लगभग हर देश और समाज में स्त्रियों को न समानाधिकार हैं, न पूरी आजादी । आज भी लगभग हर जगह पुरुष सत्ता का ही बोलबाला है । इसके कुछ उदाहरण देखें । ज्यों की कारखानों का मशीनीकरण और आधुनिकीकरण होता है स्त्रियों को नौकरी से निकाल कर मशीनें या पुरुष उनकी जगह ले लेते हैं । इसका सबसे खराब उदाहरण हमें भारत के कपडा उद्योग में देखने को मिलता है जहां हजारों औरतें काम से हटा दी गई । कृषि में स्त्रियों ने हमेशा एक प्रमुख भूमिका निभाई है लेकिन फिर भी आमतौर पर उन्हें किसान भी नहीं माना जाता । कृषि विकास के नाम पर पुरुष किसानों का ही प्रशिक्षण हुआ, के ही सरकारी समितियों के सदस्य बने, जमीन भी उन्हें ही मिली । औरतें काम करने को तो रह गई हैं लेकिन उनके अधिकार, उनकी आवाज कम से कम होती - यह भी सच है कि कारखाने, खेत, बागान आदि में घण्टों महेनत करने के अतिरिक्त स्त्रियों को घरेलू काम भी करना पड़ता है जैसे खाना पकाना, सफाई करना, पानी-इंधन लाना, बच्चे पालना आदि । इस प्रकार से स्त्रियां जीवन भर दोहरा कार्य, दोहरा बोझ और दोहरी पाली का काम झेलती रहती हैं अर्थात् वे सवैतनिक काम के (कार्यशक्ति के भाग के रूप में) बोझ के साथ-साथ अवैतनिक काम (घरेलू
SR No.002239
Book TitleBauddh aur Jain Darshan ke Vividh Aayam
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNiranjana Vora
PublisherNiranjana Vora
Publication Year2010
Total Pages130
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size10 MB
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