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________________ . 4 माला ली एवं उपवास के कारण कछ थकी हई तथा धर्म में तत्पर अपनी कन्या की ओर देखा । 'बेटी तू जाकर अब पारणा कर'-इस प्रकार कह कर उसे विदा किया; परन्तु उसी समय राजा के हृदय में उसके विवाह करने की चिन्ता उत्पन्न हुई । उसने उसी समय सब मन्त्रियों को बुलाया एवं अपनी पुत्री के विवाह की चर्चा उनसे की । राजा की बातें सुनकर शास्त्रों में चतुर सुश्रुत नामक मन्त्री ने परीक्षा कर अपनी आत्मा में निश्चय किया एवं मधुर वाणी में कहने लगा-'इसी विजयार्द्ध पर्वत की उत्तर श्रेणी में अलका नाम की नगरी है, उसका राजा मयूरग्रीव है एवं उनकी रानी का नाम है नीलान्जना । उनका सबसे ज्येष्ठ पुत्र अश्वग्रीव है, दूसरा नीलरथ, तीसरा नीलकण्ठ, चौथा सुकण्ठ, पाँचवाँ वज्रकण्ठ-इस प्रकार उनके पाँच पुत्र हैं । उनमें से ज्येष्ठ अश्वग्रीव की रानी का नाम कनंकचित्रा है तथा उन दोनों के रत्नग्रीव, रत्नांगद, रत्नचूल, रत्लरथ आदि पाँच सौ पुत्र हैं । उसके मन्त्री का नाम हरिश्मश्रु है तथा अष्टांग निमित्त को जाननेवाला नैमित्तिक शतबिन्दु है ॥१६०॥ इस प्रकार राजा अश्वग्रीव का राज्य सब प्रकार से सम्पूर्ण है तथा वह तीन खण्ड पृथ्वी का स्वामी है । इसलिए अपनी कन्यारत्न उसी को देना चाहिये ।' यह सुनकर बहुश्रुत नामक मन्त्री कहने लगा-'हे राजन् ! सुश्रुत मन्त्री की बात तो आप ने सुन ली, अब मेरा परामर्श भी सुनिये । श्रेष्ठ कुल, नीरोगी सुन्दर शरीर, शील, आयु, शास्त्र का पठन-पाठन, पक्ष, लक्ष्मी एवं उत्तम परिवार-ये नौ गुण वर में होने चाहिए । अश्वग्रीव में ये सब गुण हैं, परन्तु उसकी आयु बहुत अधिक है। | इसलिये जिसमें ये सब गुण हों एवं तरुण भी हो, ऐसा कोई दूसरा वर ढूंढना चाहिये। गगनवल्लभ नगर में प्रसिद्ध राजा सिंहरथ है । मेघपुर नगर में नीति विशारद राजा पद्मरथ है । चित्रपुर नगर में बलवान राजा अरिंजय है। त्रिपुर नगर में विद्याधरों का राजा ललितांगद है । अश्वपुर नगर में राजा कनकरथ है । महारलपुर नगर में विद्याधरों का प्रसिद्ध राजा धनन्जय है । हे राजन् ! निश्चय कर इनमें से किसी एक के संग पुण्यवती कन्यारत्न का विवाह शुभ मुहूर्त में कर देना चाहिये।' बहुश्रुत के ऐसे वचन सुनकर शास्त्रों में पारगंत श्रुतसागर मन्त्री विचार कर श्रुति मधुर शब्दों में इस प्रकार कहने लगा-'यदि आप कुल, आरोग्य, आयु, रूप आदि सब गुणों से सुशोभित वर को कन्या अर्पण करना चाहते हैं, तो मेरी कही हुई बात सुनिये ॥१७०॥ उत्तर श्रेणी के सुरेन्द्रकान्तार नगर में मेघवाहन नाम का विद्याधर राज्य करता है, उसकी रानी का नाम मेघमालिनी है । उनके विद्युत्प्रभ नाम का पुत्र है एवं ज्योर्तिमाला नाम की पुत्री है। 44 4444
SR No.002238
Book TitleShantinath Puran
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSakalkirti Acharya, Lalaram Shastri
PublisherVitrag Vani Trust
Publication Year2002
Total Pages278
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size7 MB
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