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________________ ६०४ हेमचन्द्राचार्यविरचितं .. [४.३६५इदम आयः ॥ ३६५ ॥ अपभ्रंशे इदमशब्दस्य स्यादौ आय इत्यादेशो भवति ॥ आयइँ लोअहों लोअणइँ जाई सरइँ न भन्ति । अप्पिएँ दिट्टई मउलिअहिं पिएँ दिट्टई विहसन्ति ॥ १ ॥ सोसउ म सोसउ चिअ उअही वडवानलस्स किं तेण । जं जलइ जले जलणो आएण वि किं न पज्जत्तं ॥ २ ॥ आयहाँ दई-कलेवेरहो जं वाहिउँ तं सारु । जइ उट्टब्भइ तो कुहइ अह डज्झइ तो छारु ॥३॥ सर्वस्य साहो वा ॥ ३६६ ॥ अपभ्रंशे सर्वशब्दस्य साह इत्यादेशो वा भवति ॥ साहु वि लोउं तडप्फडइ वडुत्तणहों तणेण । वडुप्पणु परि पौविअइ हतिथं मोकलडेण ॥१॥ पक्षे । सव्वु वि॥ - किमः काइं-कवणौ वा ॥ ३६७ ॥ अपभ्रंशे किमः स्थाने काइं कवण इत्यादेशौ वा भवतः ॥ जइ न सु आवइ दुइ घरु काइँ अहो मुंहुँ तुज्झु । वयं] जु खण्डइ तउ सहिए सो पिउ होइ न मज्झु ।। १ ॥ काइँ न दूरे देवखइ ॥ [ ३३९. १ ] . 'फोडेन्ति जे हिॲडउँ अप्पणउँ ताहँ पेराई कवण घृण । रक्खेजहु लोहों अप्पणा बालहें जाया विसम थण ॥ २ ॥ १ B°ब्दस्यादौ. २ B दिट्टइं. ३ B पिअ. ४ B दट्ट. ५ P कडेव. ६ B 'हिउं. ७ B ओटब्भ'. ८ B च्छारु. ९ B लोओ. १• B°होत्तणेण. ११ A वड्डत्तणु; B वड्डप्पण. १२ B °पावीअ° १३ P हत्थे; B हत्थे. १४ P काइँ. १५A घर. १६ B मुह तुज्झ. १७ B वयणज्जुखं°. १८ B देक्खइ. १९ B फोडंति: P and B write रक्खज्जह as the first and फोडेन्ति° as the secoud half, २० A जि. २१ B हीअ. २२ B पराइ. २३ P घण; B थिण. २४ PB तरुणहो.
SR No.002235
Book TitleKumarpal Charita
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShankar Pandurang Pandit
PublisherBhandarkar Oriental Research Institute
Publication Year1936
Total Pages762
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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