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________________ अकलंकदेव का दर्शनान्तरीय अध्ययन अविकल्पकमभ्रान्तं प्रत्यक्षं न पटीयसाम्। अविसंवादनियमादक्षगोचर-चेतसाम् ।। इसी प्रकार लघीयस्त्रय में कल्पनापोढं प्रत्यक्ष का निराकरण करके सविकल्पक ज्ञान को प्रत्यक्ष सिद्ध किया है। तथाहि स्वयंवेद्यं विकल्पानां विशदार्थावभासिनाम्। संहृताशेषचिन्तायां सविकल्पावभासनात् ।। इसी विषय में तत्त्वार्थवार्तिक में लिखा है__ तल्लक्षणानुपपत्तिश्च स्ववचनव्याघातात्। __ अर्थात् बौद्धों का उक्त प्रत्यक्ष लक्षण सिद्ध नहीं होता है क्योंकि उन्हीं के वचनों से उसमें व्याघात आता है। प्रत्यक्ष सर्वथा कल्पनापोढ है अथवा कथंचित् इत्यादि विकल्प करके उसमें दूषण दिया गया है। इसी प्रकार न्यायविनिश्चय के प्रथम प्रस्ताव में बौद्धों के इन्द्रियप्रत्यक्ष, मानसप्रत्यक्ष, स्वसंवेदनप्रत्यक्ष और योगिप्रत्यक्ष के स्वरूप का युक्तिपूर्वक खण्डन किया गया है। अनात्मवाद : बौद्धों का अनात्मवाद प्रसिद्ध है। बौद्धों ने नित्य आत्मतत्त्व को नहीं माना है। उनके यहाँ आत्मा-रूपं, वेदना, संज्ञा, संस्कार और विज्ञान-इन पञ्च स्कन्धरूप है। दूसरे शब्दों में चित्तसन्तति का नाम ही आत्मा है। प्रदीप की सन्तान की तरह चित्त की सन्तान चलती रहती है, इससे परलोक आदि बन जाता है। इस विषय में वसुबन्धु ने अभिधर्मकोश में लिखा है स्कन्धपञ्चमात्रं तु कर्मक्लेशाभिसंस्कृतम्। अन्तराभवसन्तत्या कुक्षिमेति प्रदीपवत्।। . बौद्धों ने नित्य आत्मा को समस्त दोषों की जड़ मानकर आत्मा की सत्ता को ही अस्वीकार कर दिया। इस विषय में धर्मकीर्ति ने प्रमाणवार्तिक में लिखा है आत्मनि सति परसंज्ञा स्वपरविभागात् परिग्रहद्वेषौ। अनयोः सम्प्रतिबन्धात् सर्वे दोषाः प्रजायन्ते।। इस पर अकलंकदेव ने पञ्चस्कन्धरूप अथवा चित्तसन्ततिरूप आत्मा का निरास करके आत्मा की स्वतंत्र सत्ता सिद्ध की है। सिद्धिविनिश्चय के जीवसिद्धि प्रकरण में चित्तसन्तति के सर्वथा क्षणिकत्व का निराकरण करके उसमें अन्वितरूप से रहने वाले चैतन्यरूप स्वतंत्र आत्मतत्त्व को सिद्ध किया गया है। धर्मकीर्ति में बुद्ध को करुणावान् तथा हेयोपादेय तत्त्व का उपदेष्टा बतलाया है। इस पर अकलंक कहते हैं
SR No.002233
Book TitleJain Nyaya me Akalankdev ka Avadan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamleshkumar Jain
PublisherPrachya Shraman Bharati
Publication Year1999
Total Pages238
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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