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जैन-न्याय को आचार्य अकलंकदेव का अवदान
सत्र में पठित आलेखों पर विद्वानों ने पर्याप्त उहापोह किया। ___ प्रो० उदयचन्द जैन वाराणसी ने अनेकान्त के सन्दर्भ में विद्वानों को प्रामाणिक विशिष्ट जानकारी दी।
अध्यक्षीय वक्तव्य में प्राचार्य नरेन्द्र प्रकाश जैन ने कहा कि व्यक्तित्व के विकास में जो व्यावहारिक हो उसे प्रकाशित करना चाहिए। समता, सुख, मानवीयता का विकास मनुष्य का लक्ष्य होगी। समापन सत्र में गुणात्मक समीक्षा होना चाहिए।
पूज्य उपाध्याय श्री ने अपने आशीर्वचन में कहा कि सत्य से साक्षात्कार और विषमता से समता की ओर जाना जीवन का लक्ष्य है। दर्शन के साथ मानवीय गुणों की चर्चा भी हो। अनेकान्तवाद सहिष्णुता का पाठ पढ़ाता है। आ० अकलंकदेव ने सिद्धान्तों में अनेकान्त की उपयोगिता का प्रतिपादन करने के साथ उसमें व्यावहारिक पक्ष के तथ्यों को भी उद्घाटित किया है। अनेकान्त के द्वारा विश्व की अनेक समस्याओं का निराकरण हो सकता हैं।
जिनवाणी के स्तवन के साथ षष्ठ सत्र उल्लासमय वातावरण में सम्पन्न हुआ। दिनांक , २६-१०-६६ को दि० जैन धर्मशाला शाहपुर के प्रांगण में पू० उपाध्याय ज्ञानसागर एवं वैराग्य सागर महाराज के सान्निध्य में अतुल भैया एवं विदुषी बहिन अनीता के मंगलाचरण से समापन सत्र की कार्यवाही प्रारम्भ हुई। इस सत्र की अध्यक्षता सुप्रसिद्ध विद्वान श्री पं० शिवचरण शास्त्री, मैनपुरी ने तथा सत्र का संयोजन डॉ० अशोककुमार जैन, लाडनूं ने किया। सर्वप्रथम सराक ज्योति के सम्पादक युवा विद्वान डॉ० सुशील जैन (कुरावली) ने भक्ति परक काव्य की पंक्तियों से श्रोताओं को मन्त्रमुग्ध किया। प्राचार्य डॉ० प्रकाशचन्द दिल्ली ने स्वरचित संस्कृत श्लोकों में संगोष्ठी की कार्यवाही का हृदयग्राही चित्रण किया। डॉ० मूलचन्द जैन (मुजफ्फरनगर) ने “श्रावकाचार तनाव मुक्ति का साधन” इस विषय पर अपने महत्त्वपूर्ण लेख को पढ़ा। डॉ० सुशील मैनपुरी ने कहा कि गुरुओं के दर्शन से हमें आध्यात्मिक ऊर्जा प्राप्त होती है। उन्होंने पू० उपाध्यायश्री के प्रेरक व्यक्तित्व एवं चातुर्मास की महत्ता का प्रतिपादन किया।
इस अवसर पर डॉ० अशोककुमार जैन (लाडनूं) द्वारा सम्पादित कृति “सराकोत्थान प्रेरणा के स्वर” पुस्तक का विमोचन प्राचार्य प० नरेन्द्रप्रकाश जी फिरोजाबाद ने किया। समाज का आान करते हुए प्राचार्य जी ने सामयिक संदर्भो में समाज को जागरूक होने का आहान किया। इस प्रकार की ज्ञान गोष्ठियां समाज को जागरण का मन्त्र प्रदान करती हैं। शाहपुर की छोटी सी जैन समाज का आतिथ्य सत्कार आज समाज को प्रेरणादायी है। उनकी गुरु भक्ति एवं समर्पण भाव, वह अनुकरणीय है।