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________________ संगोष्ठी आख्या राष्ट्रीय विद्वत् संगोष्ठी, शाहपुर - मुजफ्फरनगर (उ०प्र०) २७-२६ अक्टूबर, १९६६ अशोक कुमार जैन • जैनन्याय को आचार्य अकलंकदेव का अवदान विषय पर राष्ट्रीय विद्वत् संगोष्ठी का आयोजन दिनांक २७ से २६ अक्टूबर, १६६६ तक वात्सल्यमूर्ति प० पू० १०८ उपाध्याय श्री ज्ञानसागरजी महाराज एवं मुनि श्री वैराग्यसागरजी महाराज के मंगल सान्निध्य में शाहपुर (मुजफ्फरनगर) में अत्यन्त गरिमापूर्वक तथा उल्लासमय वातावरण में सम्पन्न हुआ। इस गोष्ठी में राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय जगत् में ख्यातिप्राप्त तीस विद्वानों ने भाग लेकर जैनन्याय के प्रतिष्ठापक आचार्य अकलंकदेव के व्यक्तित्व एवं कृतित्व से सम्बन्धित गवेषणात्मक शोध आलेखों को प्रस्तुत कर विनीत भावांजलि प्रस्तुत की। उद्घाटन सत्र में पूज्य उपाध्याय श्री ज्ञानसागरजी महाराज ने अपने प्रवचन में कहा कि दर्शन विषयक शास्त्रों की सुरक्षा में भारतीय संस्कृति सुरक्षित है। हमें जैन साहित्य एवं संस्कृति की सुरक्षा के लिए आचार्य अकलंकदेव एवं निकलंक जैसे महान् आचार्यों के त्याग को सदैव स्मरण रखना चाहिए। आचार्य अकलंकदेव ने ब्रह्मचर्य-व्रत धारणकर जो न्याय साहित्य लिखा वह अप्रतिम है। प्राचीन आचार्यों के व्यक्तित्व एवं कृतित्व को जनमानस तक पहुँचाने हेतु संगोष्ठियों की वर्तमान में अत्यन्त आवश्यकता एवं सार्थकता है। सराकोद्धार के ' विषय में पूज्य उपाध्यायश्री ने कहा कि सराकों के मूलधारा में जुड़ने से जैनों की जनशक्ति ' में वृद्धि होगी तथा उनसे जैन संस्कृति की प्रभावना होगी। कुल सात सत्रों में पठित आलेखों का विवरण निम्नवत् है प्रथम उद्घाटन सत्र .. श्री दि० जैन विद्यालय शाहपुर के भव्य प्रांगण में पूज्य मुनिद्वय के पुनीत सान्निध्य में ख्याति प्राप्त अन्तर्राष्ट्रीय विद्वान डॉ० प्रो० बी०बी० रानाडे (लाडनूं) की अध्यक्षता, चक्रेशकुमार जैन दिल्ली के मुख्य आतिथ्य एवं डॉ० अशोककुमार जैन (लाडनूं) के संयोजकत्व में प्रथम सत्र का कार्यक्रम प्रारम्भ हुआ। श्रीमती सुलोचना जैन दिल्ली ने ध्वजारोहण एवं श्री विनयकुमार दिल्ली व महेन्द्रकुमार दिल्ली ने ज्ञान एवं वैराग्य दीप का प्रज्ज्वलन किया, मंगलाचरण अनीता एवं मन्जुला जी, पं० शिवचरणलाल मैनपुरी तथा पुनीत जैन ने किया। संगोष्ठी में सम्मान्य विद्वानों एवं अतिथियों का शाहपुर दि० जैन समाज तथा चातुर्मास समिति ने तिलक एवं श्री फल भेंटकर हार्दिक स्वागत किया।
SR No.002233
Book TitleJain Nyaya me Akalankdev ka Avadan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamleshkumar Jain
PublisherPrachya Shraman Bharati
Publication Year1999
Total Pages238
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size23 MB
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