________________
नामका घंटा बजता है, उसको सुन, तीर्थंकर का जन्म जान, अन्यान्य ६३ इन्द्र भी मेरु पर्वत पर आते हैं।
. चौसठ इन्द्रों के नाम नीचे दिये जाते हैं। (वैमानिक देवों के इन्द्र १०) :
१. सौधर्मेन्द्र - (इसके आने का वर्णन ऊपर दिया है।) .. २. ईशानेन्द्र, अपने अट्ठाईस लाख विमानवासी देवताओं सहित
'पुष्पक विमान में बैठकर आता है। ३. सनत्कुमार इन्द्र, बारह लाख विमानवासी देवताओं सहित 'सुमन'
विमान में बैठकर आता है। ४. महेन्द्र इन्द्र, आठ लाख विमानवासी देवताओं सहित 'श्रीवत्स'
विमान में बैठकर आता है। ५. ब्रह्मेन्द्र इन्द्र, चार लाख विमानवासी देवताओं सहित 'नंद्यावर्त' .
विमान में बैठकर आता है। ६. लांतक इन्द्र, पचास हजार विमानवासी देवताओं सहित 'कामगव
विमान में बैठकर आता है ७. शुक्र इन्द्र, चालीस हजार विमानवासी देवताओं सहित 'पीतिगम'
विमान में बैठकर आता है ५. 'सहस्रार' इन्द्र, छः हजार विमानवासी देवताओं सहित 'मनोरम
विमान में बैठकर आता है। 'आनत प्राणत' देवलोक का इन्द्र, चार सौ विमानवासी देवताओं
सहित विमल' विमान में बैठकर आता है। १०. आरणाच्युत देवलोक का इन्द्र, तीन सौ विमानवासी देवताओं
सहित 'सर्वतोभद्र' नाम के विमान में बैठकर आता है (भुवन-पतिदेवों के इन्द्र २०) :११. असुरकुमार निकाय के 'चमरचंच' नगरी का स्वामी 'चमरेन्द्र
इन्द्र, अपने लाखों देवताओं सहित आता है। एवं . १२. 'बलिचंचा' नगरी का स्वामी 'बलि' इन्द्र, अपने देवताओं सहित
आता है।
: पंच कल्याणक : 314 :