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सुलसा का जीव निर्मम नामक पंद्रहवें तीर्थंकर होंगे। रेवती का जीक चित्रगुप्त नामक सोलहवें तीर्थंकर होंगे। गवाली का जीव समाधि नामक सत्रहवें तीर्थंकर होंगे। गार्गलु का जीव संवर नामक अठारहवें तीर्थंकर होंगे। द्वीपायन का जीव यशोधर नामक उन्नीसवें तीर्थंकर होंगे। कर्ण का जीव विजय नामक बीस वें तीर्थंकर होंगे। नारद का जीव मल्ल नामक इक्कीसवें तीर्थंकर होंगे। अंबड़ का जीव देव नामक बाईस वें तीर्थंकर होंगे। बारहवें चक्रवर्ती का जीव अनंतवीर्य नामक तेईसवें तीर्थंकर होंगे। और स्वाति का जीव भद्र नामक चौबीसवें तीर्थंकर होंगे।''
यह चौबीसी जितने समय में होगी उतने समय में १. दीर्घदंत, २. गूढदंत, ३. शुद्धदंत, ४. श्रीचंद्र, ५. श्रीभूति, ६. श्रीसोम, ७. पद्म, ८. महापद्म, ६. दर्शन, १०. विमल, ११. विमलवाहन और १२. अरिष्ठ नाम के बारह
चक्रवर्ती।
___ १..नंदी, २. नंदीमित्र, ३. सुंदरबाहु, ४. महाबाहु, ५. अतिबल, ६. महाबल, ७. बल, ८. द्विपृष्ट और ६. त्रिपृष्ठ नाम के नौ वासुदेव (अर्द्धचक्री);
१. जयंतं, २. अजित, ३. धर्म, ४. सुप्रभ, ५. सुदर्शन, ६. आनंद, ७. नंदन, ८. पद्म और ६. संकर्षण नाम के नौ बलदेव और १. तिलक, २. लोहजंघ, ३. वज्रजंघ, ४. केशरी, ५. बली, ६. प्रह्लाद, ७. अपराजित, ८. भीम और ६. सुग्रीव नाम के नौ प्रतिवासुदेव होंगे।
इस तरह उत्सर्पिणी काल में तिरसठ शलाका पुरुष होंगे।'
1. ये नाम त्रिषष्ठि शलाका पुरुष चरित्र से लिये गये हैं। पूर्वभवों में पाठांतर
भी हैं।
: श्री तीर्थंकर चरित्र : 295 :