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________________ 'उनमें के पहले विमलवाहन को जातिस्मरणज्ञान होगा। इससे वे गांव और शहर बसायेंगे, राज्य कायम करेंगे, हाथी, घोड़े, गाय, बैल वगैरे पशुओं का संग्रह करेंगे और शिल्प, लिपि और गणितादिका व्यवहार लोगों में चलायेंगे। बाद में जब दूध, दही, अग्नि आदि पैदा होंगे तब वह राजा अन्न पकाकर, लोगों को, उसे खाने का उपदेश देगा। 'इस तरह जब दुःखमा काल बीत जायगा तब शतद्वार नामक नगर में सातवें कुलकर राजा की रानी भद्रादेवी के कोख से श्रेणिक का जीव पुत्र रूप में उत्पन्न होगा। उनके आयुष्य और शरीरादि मेरे समान होंगे। उनका नाम पद्मनाभ होगा। वे ही उत्सर्पिणी काल में पहले तीर्थंकर होंगे। उसके बाद अवसर्पिणी काल की तरह उल्टी तरह के हिसाब से तेईस तीर्थंकरों के शरीर आयुष्य और अंतर में अभिवृद्धि होगी। उनके नाम क्रमशः इस तरह होंगे - 'श्रेणिका का जीव पद्मनाभ नामक पहले तीर्थंकर होंगे। सुपार्थ का जीव सूरदेव नामक दूसरे तीर्थंकर होंगे। पोट्टिल का जीव सुपार्श्व नामक तीसरे तीर्थंकर होंगे। द्रढ़ायु का जीव स्वयं प्रभु नाम के चौथे तीर्थंकर होंगे। कार्तिक सेठ का जीव सर्वानुभूति नामक पांचवें तीर्थंकर होंगे। शंख श्रावक का जीव देवश्रुत नामक छट्टे तीर्थंकर होंगे। नंद का जीव उदय नामक सातवें तीर्थंकर होंगे। सुनंद का जीव पेढाल नामक आठवें तीर्थंकर होंगे। कैकसी का जीव पोट्टिल नामक नवें तीर्थंकर होंगे। रेवती का जीव शतकीर्ति नामक दसवें तीर्थंकर होंगे। सत्यकी का जीव सुव्रत नामक ग्यारहवें तीर्थंकर होंगे। कृष्ण वासुदेव का जीव अमम नामक बारहवें तीर्थंकर होंगे। बलदेव का जीव अकषाय नामक तेरहवें तीर्थंकर होंगे। रोहिणी का जीव निष्पुलाक नामक चौदहवें तीर्थंकर होंगे। : श्री महावीर चरित्र : 294 :
SR No.002231
Book TitleTirthankar Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayanandvijay
PublisherRamchandra Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages360
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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