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________________ केवलज्ञान का उच्छेद इसके बाद श्री सुधर्मास्वामी गणधर ने पूछा – 'भगवन्! केवलज्ञान कब उच्छेद होगा और अंतिम केवली कौन होगा?' . प्रभु ने उत्तर दिया – 'मेरे मोक्ष जाने के कुछ काल बाद तुम्हारे, जंबू नामक, अंतिम केवली होंगे। उनके बाद केवलज्ञान का उच्छेद हो जायगा। केवलज्ञान के साथ ही, मनःपर्यव ज्ञान, पुलाकलब्धि, परमावधि ज्ञान, क्षपक श्रेणी व उपशम श्रेणी, आहारक शरीर, जिनकल्प और त्रिविध (परिहार विशुद्धि, सूक्ष्मसंपराय और यथाख्यात चारित्र ये तीन) संयम भी विच्छेद हो जायेंगे। _ 'तुम्हारे शिष्य जंबू चौदह पूर्वधारी होकर मोक्ष में जायेंगे उनके शिष्य शय्यंभव भी द्वादशांगी के पारगामी होंगे। वे पूर्व में से दशवैकालिक सूत्र की रचना करेंगे। उनके शिष्य यशोभद्र सर्व पूर्वधारी होंगे और उनके शिष्य संभूतिविजय और भद्रबाहु, भी चौदह पूर्वधारी होंगे। संभूतिविजय के शिष्य स्थूलभद्र चौदह पूर्वधर होंगे। उनके बाद अंतिम चार पूर्वो का उच्छेद हो जायगा। उसके बाद महागिरि और सुहस्ति से वज्रस्वामी तक इस तीर्थ के प्रवर्तक दस पूर्वधर-होंगे। .... __महावीर प्रभु का परिवार - ११ गणधर, १४००० साधु, ३६००० साध्वियाँ, ७०० वैक्रिय लब्धिवाले, १३०० अवधिज्ञानी, ७०० केवलज्ञानी, ५०० मनः पर्यवज्ञानी, ३०० चौदह पूर्वधर, ४०० वादी मुनि, १५६०० श्रावक, ३१८०००श्राविकाएँ, मातंग यक्ष, सिद्धायिका शासन देवी हुई । : केवलज्ञान का उच्छेद : 296 :
SR No.002231
Book TitleTirthankar Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayanandvijay
PublisherRamchandra Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages360
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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