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________________ उस धन को किसी राजा ने नहीं निकलवाया।' धन का लोभी राजा उन स्तूपों को खुदवाकर धन निकाल लेगा। . फिर वह यह सोचकर कि शहर में और स्थानों में भी धन गड़ा हुआ होगा, सारे शहर को खुदवा डालेगा। उसमें से एक लवणदेवी नाम की शिलामयी गाय निकलेगी। वह चौराहे में खड़ी कर दी जायगी। वह अपना प्रभाव दिखलाने के लिए मुनियों के - जो गोचरी जाते हुए उसके पास से निकलेंगे-अपना सींग अड़ा देगी। इसको साधु भविष्य में अति वृष्टि की सूचना समझेंगे और वहां से चले जायेंगे। कुछ भोजन वस्त्र के लोलुप यह कहकर वहीं रहेंगे कि कालयोग से जो कुछ होनहार है वह जरूर होगा। होनहार को जिनेश्वर भी नहीं रोक सकते हैं। _ 'फिर राजा कल्कि सभी धर्मों के साधुओं से कर लेगा। इसके बाद वह जैन साधुओं से भी कर मांगेगा। तब जैन साधु कहेंगे – 'हे राजन! हम अकिंचन हैं और गोचरी करके खाते हैं। हमारे पास क्या है सो हम तुम्हें दें? हमारे पास केवल धर्मलाभ है। वही हम तुमको देते हैं। पुराणों में लिखा है कि, जो राजा ब्रह्मनिष्ठ तपस्वियों की रक्षा करता है उसे उनके पुण्य का छट्टा भाग मिलता है। इसलिए हे राजन्! आप इस दुष्कर्म से हाथ उठाइए। आपका यह दुष्कर्म देश और शहर का अकल्याण करेगा।' 'इससे कल्कि बड़ा गुस्से होगा। उसको नगर के देवता समझायेंगे कि हे राजन्! निष्परिग्रही मुनियों को मत सताओ। ऐसे मुनियों को 'कर' के लिए सताकर तुम अपनी मौत को पास बुलाओगे।' . 'इसको सुनकर कल्कि डरेगा और मुनियों को नमस्कार कर उनसे क्षमा मांगेगा।' 'फिर शहर में, उसके (शहर के) नाश की सूचना देनेवाले बड़े-बड़े भयंकर उपद्रव होंगे। सत्रह रात दिन तक बहुत मेंह बरसेगा। इससे गंगा में(?) बाढ़ आयगी और पाटलीपुत्र को डुबा देगी। शहर में केवल प्रातिपद नाम के आचार्य, कुछ श्रावक, थोड़े शहर के लोग और कल्कि राजा किसी ऊंचे स्थान में चढ़ जाने से बच जायेंगे। शेष सभी नगरजन मर जायेंगे। 'पानी के शांत होने पर कल्कि नंद के पाये हुए धन से पुनः शहर : श्री महावीर चरित्र : 288 :
SR No.002231
Book TitleTirthankar Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayanandvijay
PublisherRamchandra Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages360
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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