________________
ने समवसरण रचा। समवसरण में देवानंदा और ऋषभदत्त भी आये। महावीर को देखकर देवानंदा के स्तनों से दूध झरने लगा। वह एक टक महावीर स्वामी की तरफ देखने लगी। गौतम गणधर ने इसका कारण पूछा। महावीर ने कहा – 'मैं बयासी दिन तक इसकी कोख में रहा हूं। इसलिए वात्सल्य भाव से इसकी ऐसी हालत हुई है।'
फिर महावीर स्वामी ने धर्मोपदेश दिया। देवानंदा और ऋषभदत्त ने दुनिया को असार जानकर दीक्षा ले ली। जमाली को दीक्षा :
प्रभु विहार करते हुए एक बार क्षत्रियकुंड आये। वहां राजा नंदिवर्द्धन और प्रभु का जमाई 'जमाली' अपने परिवार सहित समवसरण में आये। प्रभु की देशना से वैराग्यवान होकर जमाली ने पांच सौ अन्य क्षत्रियों सहित दीक्षा ले ली। 1. जमाली महावीर के भानजे थे। इन्हीं के साथ महावीर की पुत्री प्रियदर्शा ब्याही __ गयी थी। जमाली ने दीक्षा लेने के बाद ग्यारह अंगों का अध्ययन किया। तब प्रभु ने उन्हें हजार क्षत्रिय मुनियों का आचार्य बना दिया। वे छट्ठ अट्ठम आदि का तप करने लगे। एक बार जमाली ने अपने मुनिमंडल सहित, स्वतंत्ररूप से विहार करने की .. आज्ञा मांगी। प्रभु ने अनिष्ट की संभावना से मौंन धारण किया। जमाली मौन को सम्मति समझकर विहार कर गये। विहार करते हुए वे श्रावस्ती नगरी पहुंचे। नगर के बाहर 'तेंदुक' नामक उद्यान के 'कोष्ठक' नामक चैत्य में रहे। विरस, शीतल, रुक्ष और असमय आहार करने से उन्हें पित्तज्वर आने लगा। एक दिन ज्वर की अधिकता के कारण उन्होंने सो रहने के लिए संथारा करने की अपने शिष्यों को आज्ञा दी। थोड़े क्षण नहीं बीते थे कि, जमाली ने पूछा – 'संथारा बिछा दिया?' शिष्य बोले-बिछा दिया। 'ज्वरात जमाली तुरत जहां संथारा होता था वहां आये। मगर संथारा होते देखकर वे बैठ गये और बोले - साधुओ! आज तक हम भूले हुए थे। इसलिए असमाप्त कार्य को भी समाप्त हो गया कहते थे। यह भूल थी। जो काम समाप्त हो गया हो उसके लिए कभी मत कहो कि, वह हो गया है। तुमने कहा कि 'संथारा बिछ गया है।' वस्तुतः यह बिछ नहीं चुका था। इसलिए तुम्हारा यह कहना असत्य है। उत्पन्न होता हो उसे
: श्री महावीर चरित्र : 266 :