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________________ राजगृह में आठवां चौमासा : विहार करते हुए प्रभु राजगृह में पहुंचे आठवां चौमासा चौमासी तंपकर वहीं बिताया। म्लेच्छ देशों में नवां चौमासा : --विहार करते हुए प्रमु म्लेच्छ देश में आये और नवां चौमासा वज्रभूमि, शुद्धभूमि और लाट अदि देशों में बिताया। .. यहां प्रभु को रहने के लिए स्थान भी न मिला, इसलिए कहीं खंडहर में और कहीं झाड़ तले रहकर वह चौमासा पूरा किया। इस चौमासे में दुष्ट प्रकृति म्लेच्छ लोगों ने महावीर को बहुत उपसर्ग किये। .... गोशालक का परिवर्तवाद : म्लेच्छ देश से विहार कर महावीर सिद्धार्थपुर आये और सिद्धार्थपुर से कूर्मग्राम को चले। गांव से थोड़ी दूर रास्ते में एक तिलका पौदा था। गोशालक ने पूछा – 'स्वामी! यह तिलका पौदा फलेगा या नहीं?' 'प्रभु ने उत्तर दिया –'हे भद्र! यह पौदा फलेगा और दूसरे सात फूलों के जीव हैं वे इस पौदे की फली में सात तिल रूप में जन्मेंगे।' गोशालक ने महावीर स्वामी की वाणी को मिथ्या करने के लिए उस प्रौदे को उखाड़ कर दूसरी जगह रख दिया। उसी समय किसी देवता ने महावीर की वाणी सत्य करने के लिए पानी बरसाया। महावीर स्वामी और गोशालक कूर्मग्राम चले गये। जाता है? उन्होंने कहा – 'मुसाफिर बे फायदा गालियां क्यों देता है?' गोशालक बोला – 'मैंने तो सच्ची बात कही है। क्या तुम म्लेच्छ और बद शकल नहीं हो?' इससे गवाले नाराज हुए और उन्होंने उसे बांधकर एक झाड़ी में डाल दिया। दूसरे मुसाफिरों ने दया कर उसके बंधन खोले। 1. अब तक के सब प्रश्नों का जवाब सिद्धार्थ देवने दिया था। इस प्रश्न का उत्तर स्वयं महावीर ने दिया। 2. भगवती सूत्र में और आवश्यक सूत्र में 'किसी देवता ने पानी बरसाया' ऐसा उल्लेख नहीं है। उनमें उसी समय पानी बरसना लिखा है। ; श्री महावीर चरित्र : 238 :
SR No.002231
Book TitleTirthankar Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayanandvijay
PublisherRamchandra Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages360
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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