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________________ छोड़ दिया, प्रजाजनों को - राज्य का ऋण छोड़कर अथवा खजाने से कर्जा चुकवाकर ऋणमुक्त किया, सब तरह से 'कर' छोड़ दिये और राज्यभर में ऐसी व्यवस्था कर दी कि प्रजाजन दस दिन तक आनंदोत्सव करते रहें। बारह दिन सिद्धार्थ राजा ने प्रभु का नाम 'वर्द्धमान' रखा; कारण जब से भगवान गर्म में आये तब से सिद्धार्थ राजा के राज्य में धन-धान्यादि की वृद्धि हुई, शत्रु परास्त हुए और सब तरफ सुख शांति बढ़ी थी। (देव का गर्व हरण किया) : ____ जब वर्द्धमान स्वामी आठ वर्ष के हुए तब की बात है। वे अपनी उम्र के लड़कों के साथ एक उद्यान में खेल रहे थे। उस समय प्रसंगवश इंद्र ने वर्द्धमान स्वामी की वीरता और धीरता की प्रशंसा की। एक मिथ्यात्वी देव को मनुष्य की वीरता के बखान अच्छे न लगे। इसलिए वह तुरत वहां आया . जहां सभी बालक खेल रहे थे। . जब देव पहुंचा तब वे आमल की क्रीडा करते थे। वर्द्धमान स्वामी और कई लड़के झाड़ पर चढ़े हुए थे। देव भयंकर सर्प का रूप धरकर झाड़ के लिपट गया। उसे देखकर लड़के बहुत डरे। वर्द्धमान स्वामी ने लड़कों को धीरज बंधायी। फिर प्रभु नीचे उतरे। उन्होंने सर्प को पूंछ से पकड़कर एक झटका मारा। वह ढीला पड़ गया और झाड़े से उसके बंधन निकल गये। प्रभु ने उसे तिनके की तरह एक तरफ फैंक दिया। लड़के फिर दूसरा खेल खेलने लगे। उसमें जीतनेवाला दूसरे 1. पुत्र जन्मोत्सव के समय, युवराज के अभिषेक के समय और विजयोत्सव के समय कैदियों को छोड़ने की और कर बंद करने की प्राचीन पद्धति थी। 2. लड़के झाड़ पर चढ़ते है, एक लड़का उनको पकड़ता है। जब पकड़नेवाला झाड़ पर चढ़ता है तब दूसरे कुछ लड़के नीचे कूदकर या उतर कर, पकड़नेवाले की एक लकड़ी-जो अमुक गोल कुंडाले में रहती है - दूर फेंक देते हैं। इससे पकड़नेवाले लड़के को वह लकड़ी लेने जाना पड़ता है। जब तक वह लकड़ी कुंडाले में नहीं होती तब तक वह किसको नहीं पकड़ सकता। 'यही आमल की क्रीडा' है। : श्री महावीर चरित्र : 210 :
SR No.002231
Book TitleTirthankar Charitra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJayanandvijay
PublisherRamchandra Prakashan Samiti
Publication Year
Total Pages360
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size24 MB
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