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योगिराज श्रीमद् श्रानन्दघनजी के पदों की प्रत्येक पंक्ति प्रात्मिक दीपावली के लिए दीपमालायों का स्मरण कराती है और उनके पदों के अक्षर श्रात्म जागृति हेतु रत्न- मंजूषा तुल्य हैं । ऐसे प्रवधूत को शत शत वन्दन ।
० सुमेरचन्द कटारिया
8, वीरप्पन नाइकन स्ट्रीट, साहूकार पैठ, चेन्नई-600079
श्रीमद् श्रानन्दघनजी आगमों तथा अध्यात्म के सतत अध्ययन में रत थे । उन्होंने आत्म-स्वरूप के चिन्तन एवं अनुभव में एकान्त निर्जन गुफाओं में अथवा सुदूर पर्वतों पर अध्यात्म एवं योग की अनेक वर्षों तक साधना की ।
धन्य है ऐसे अध्यात्म योगी को !
० भीकमचन्दजी गौतमचन्दजी आंचलिया
पुस्तक विक्रेता
स्टेशन रोड, मेड़ता शहर ( राजस्थान )
योगिराज श्रीमद् श्रानन्दघनजी अर्थात् दिव्य विभूति के दर्शन, श्रीमद् आनन्दघनजी अर्थात् अध्यात्म दृष्टि के तेज-पुञ्ज, और उनकी मंगलमय वाणी अर्थात् अध्यात्म-द्रष्टा का पैगाम । ऐसे प्रगाध ज्ञान के भण्डार श्रीमद् को कोटि-कोटि
वन्दन ।
* मै. माणकचन्द शिखरचन्द कोठारी
भव्य बुक डिपो, महावीर मार्केट,
मेड़ता शहर ( राजस्थान )