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________________ योगिराज श्रीमद् श्रानन्दघनजी एवं उनका काव्य - २४० टिप्पणी- जैन महात्मा के लिए श्रीकृष्ण का उपासक होना सम्भव है । इस पद की भाषा व शैली श्रानन्दघनजी के पदों से मेल नहीं खाती । श्रतः यह पद श्री श्रानन्दघनजी का नहीं है । यह पद भक्त कवि श्रानन्दघन का हो सकता है । अर्थ - श्रीमद् श्रानन्दघनजी अपने आत्मा को कृष्ण रूप मानकर उसके गुण गाते हैं और कहते हैं कि 'सोऽहं सोऽहं' शब्द की बंसी बजाने वाले आत्मा रूप श्रीकृष्ण के साथ मेरा दिल लग गया है; अथवा अनहद ध्वनि रूप बाँसुरी बजाने वाले आत्मा रूप श्रीकृष्ण के साथ मेरा दिल लग गया है, केवल कुम्भक प्राणायाम की सिद्धि होने पर अन्तर में बाँसुरी की ध्वनि के समान मन्द स्वर सुनाई देता है । अन्तर में बंसी बजाने वाला प्रारणों से भी प्यारा श्रात्मा रूप श्रीकृष्ण है । उसने विवेक रूपी मोड़ धारण किया है तथा क्षमा रूपी मुकुट पहना है । आत्मा रूप . श्रीकृष्ण ने धैर्य रूपी मकराकृत कुण्डल पहने हैं आत्मा रूप श्रीकृष्ण ने शील रूपी पीताम्बर पहना है । आत्मा रूप श्रीकृष्ण को बाह्य भोगों की प्रिय नहीं लगती । वह अन्तर में विद्यमान मोह आदि का नाश करता है । अतः ऐसे आत्मा रूपी श्रीकृष्ण के साथ रात-दिन मेरा मन लगा रहता है ।। १ । आत्मा रूप श्रीकृष्ण शीतल समता का प्रकाश करता है अतः वह चन्द्र रूप है | उसके सामने मैं चकोर जैसा हो गया हूँ । आत्मा रूप कृष्ण सचमुच मेघ के समान है और उसके सामने मेरा भाव प्रारण पपीहे का सा आचरण करता है और अनेक प्रकार के धर्मोपदेश के द्वारा नागरिकों को सत्य सुख दिखाता है । हे समता सखी! आत्मा रूप श्रीकृष्ण के गुण बड़े-बड़े महर्षि रूप गन्धर्व गाया करते हैं । आनन्दघन आत्मा श्रीकृष्ण है जो अपने गुणों से प्रकाशित है । अध्यात्म शैली से इस प्रकार के श्रीकृष्ण को जो मानते हैं वे अचल शिव रूप अच्युत धाम में प्रवेश करते हैं ||२|| ( २१ ) ( राग-कान्हरो ) भमरा किन गुन भयो रे उदासी । पंख तेरी कारी मुख तेरा पीरा, सब फूलन को बासी ॥ १ ॥ सब कलियन को रस तुम लीनो, सो क्यूँ जाय निरासी । 'प्रानन्दघन' प्रभु तुम्हरे मिलन कुरूं जाय करवत ल्यूं कासी ।। २ ।।
SR No.002230
Book TitleYogiraj Anandghanji evam Unka Kavya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNainmal V Surana
PublisherSushil Sahitya Prakashan Samiti
Publication Year1997
Total Pages442
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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