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प्रस्तावना
अनिर्वचनीयार्थख्यातिविचार, स्मृतिप्रमोषविचार, अपूर्वार्थविचार, ब्रह्माद्वैतवाद, विज्ञानाद्वैतवाद, चित्राद्वैतवाद, शून्याद्वैतवाद, अचेतनज्ञानवाद, सांकारज्ञानवाद, भूतचैतन्यवाद, स्वसंवेदनज्ञानवाद, आत्मप्रत्यक्षवाद, ज्ञानान्तरवेद्यज्ञानवाद और प्रामाण्यवाद । __द्वितीय परिच्छेद-प्रत्यक्षैकप्रमाणवाद, प्रमेय के द्वित्व से प्रमाणद्वित्वविचार, आगमविचार, उपमानविचार, अर्थापत्तिविचार, अभावविचार, अर्थापत्ति का अनुमान में और अभाव का प्रत्यक्ष आदि में अन्तर्भाव, शक्तिस्वरूपविचार, विशदत्वविचार, चक्षुःसन्निकर्षवाद, सांव्यवहारिकप्रत्यक्षविचार, अर्थकारणतावाद, आलोककारणतावाद, मुख्यप्रत्यक्षविचार, कर्मों में पौद्गलिकत्व की सिद्धि, सर्वज्ञत्ववाद, ईश्वरवाद, प्रकृतिकर्तृत्ववाद, कवलाहारविचार, स्त्रीमुक्तिविचार, भारतीय दर्शनों में मोक्षस्वरूपविचार ।
तृतीय परिच्छेद-स्मृतिप्रामाण्यविचार, प्रत्यभिज्ञानप्रामाण्यविचार, तर्कस्वरूपविचार, हेतु में त्रैरूप्यनिरास, हेतु में पाञ्चरूप्यनिरास, धर्मिस्वरूपविचार, पक्ष-वचन का समर्थन, वेदापौरुषेयत्वविचार, शब्दनित्यत्ववाद, अपोहवाद और स्फोटवाद । - चतुर्थ परिच्छेद-सामान्यस्वरूपविचार, ब्राह्मणत्वजातिनिरास, सम्बन्धसद्भाववाद, अन्वयी आत्मा की सिद्धि, अर्थ में सामान्यविशेषात्मकत्व की सिद्धि, वस्तु को भेदाभेदात्मक मानने में संशयादि दोषों का निरास, परमाणुरूपनित्यद्रव्यविचार, आकाशद्रव्यविचार, कालद्रव्यविचार, आत्मद्रव्यवाद, गुणपदार्थविचार, कर्मपदार्थ-विचार, समवायपदार्थविचार, अभावपदार्थविचार और नैयायिकाभ्युपगत षोडशपदार्थविचार । ... पञ्चम परिच्छेद-प्रमाणफलस्वरूपविचार, प्रमाण का फल प्रमाण से कथञ्चित् भिन्न है और कथञ्चित् अभिन्न है, इसकी सिद्धि ।
षष्ठ परिच्छेद-प्रमाणाभास, संख्याभास, विषयाभास, फलाभास, स्मरणाभास, प्रत्यभिज्ञानाभास तर्काभास, अनुमानाभास, हेत्वाभास, दृष्टान्ताभास, आगमाभास आदि आभासों का विवेचन, जय-पराजय व्यवस्था, नय और नयाभास का विवेचन, सप्तभङ्गीविवेचन और पत्र विचार ।
आचार्य प्रभाचन्द्र ने आचार्य माणिक्यनन्दि के परीक्षामुख सूत्र पर