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प्रमेयकमलमार्तण्ड परिशीलन यदि कोई मोही ( अज्ञानी ) व्यक्ति कहता है कि अंगुली के अग्रभार. पर हाथियों के सैकड़ों समूह विद्यमान हैं, तो उसका ऐसा कथन आगमाभास है । ऐसा कहने वाला अपने अज्ञान का ही प्रदर्शन करता है । वह मिथ्या आगम जनित वासना के कारण प्रत्यक्षादि प्रमाणविरुद्ध कथन करता है । किसी भी प्रामाणिक आगम में उक्त प्रकार का कथन नहीं मिलता है । अतः यह आगमाभास का शास्त्रीय उदाहरण है। - उक्त दोनों प्रकार के वचन आगमाभास क्यों हैं, इसे बतलाने के लिए सूत्र कहते हैं
विसंवादात् ॥५४॥ विसंवाद होने के कारण उक्त दोनों प्रकार के वचन आगमाभास हैं । जो ज्ञान या वचन अविसंवादी होता है उसे ही प्रमाण माना गया है । जिस वचन में विसंवाद या विरोध हो उसे प्रमाण नहीं माना जा सकता है । अत: पूर्वोक्त प्रकार के वचन निश्चितरूप से आगमाभास हैं ।
संख्याभास का स्वरूप प्रत्यक्षमेवैकं प्रमाणमित्यादि संख्याभासम् ॥५५॥
प्रत्यक्ष ही एक प्रमाण है, इत्यादि कथन संख्याभास है । द्वितीय परिच्छेद में बतलाया गया है कि प्रत्यक्ष और परोक्ष के भेद से प्रमाण के दो 'भेद हैं । इससे विपरीत कथन करना संख्याभास है । चार्वाक कहता है कि प्रत्यक्ष ही एक प्रमाण है । बौद्ध कहते हैं कि प्रत्यक्ष और अनुमान ये दो ही प्रमाण हैं । इत्यादि प्रकार का सब कथन संख्याभास है ।
प्रत्यक्ष ही एक प्रमाण है, चार्वाक का ऐसा कथन संख्याभास क्यों है ? इसे नीचे लिखे सूत्र द्वारा बतलाते हैंलौकायतिकस्य प्रत्यक्षतः परलोकादिनिषेधस्य परबुद्धयादेश्चासिद्धेरतद्विषयत्वात् ॥५६॥ ____ चार्वाक मत में प्रत्यक्ष से परलोक आदि का निषेध और अन्य पुरुष में बुद्धि आदि की सिद्धि नहीं हो सकती है, क्योंकि ये बातें प्रत्यक्ष का विषय नहीं हैं । चार्वाकमतानुयायी परलोक का निषेध करते हैं और अन्य पुरुष में बुद्धि ( चैतन्य ) की सिद्धि करते हैं । परन्तु ऐसा करना प्रत्यक्ष के