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- चतुर्थ परिच्छेद : सूत्र ९ पदार्थों का विवेचन प्रमेयकमलमार्तण्ड में नहीं किया गया है । यह अवश्य बतलाया गया है कि ये सोलह पदार्थ वैशेषिकों के द्वारा माने गये छह पदार्थों के अतिरिक्त हैं । इन सोलह पदार्थों के अस्तित्व के कारण वैशेषिकाभिमत षट् पदार्थ की संख्या का व्याघात हो जाता है । नैयायिकों के इन सोलह पदार्थों का अन्तर्भाव वैशेषिकों के द्वारा अभिमत छह पदार्थों में भी नहीं हो सकता है । अन्यथा द्रव्यादि छह पदार्थों का प्रमाण और प्रमेय इन दो पदार्थों में अन्तर्भाव हो जाने से द्रव्यादि छह प्रकार के पदार्थों की व्यवस्था भी नहीं बनेगी । वास्तव में नैयायिकों के द्वारा अभिमत सोलह पदार्थों की मान्यता भी समीचीन नहीं है । क्योंकि उनके द्वारा अभिमत प्रमाण आदि के स्वरूप का इसके पूर्व में यथास्थान निराकरण किया जा चुका है । उक्त सोलह पदार्थों में विपर्यय और अनध्यवसाय का ग्रहण नहीं किया गया है । इस कारण नैयायिकों के द्वारा अभिमत सोलह पदार्थों की संख्या का भी व्याघात हो जाता है ।
चतुर्थ परिच्छेद समाप्त.