________________
आयारदसा .
. २ अनुत्रपशरीरता--लज्जास्पद शरीर वाला न होना । ३ स्थिरसंहननता शरीर-संहनन सुदृढ़ होना। ४ बहुप्रतिपूर्णेन्द्रियता - सर्व इन्द्रियों का परिपूर्ण होना ।
यह चार प्रकार की शरीर सम्पदा है ।
सूत्र ६
प्र०-से कि तं वयण-संपया ? उ०-वयण-संपया चउन्विहा पण्णत्ता, तं जहा१ आदेय-वयणे यावि भवइ, . २ महुर-वयणे यावि भवइ, ३ अपिस्सिय-वयणे यावि भवइ, . ४ असंदिद्धवयणे२ यावि भवइ ।
से तं वयण-संपया। (४) प्रश्न-भगवन् ! वचन-सम्पदा क्या है ? उत्तर- वचन-सम्पदा चार प्रकार की कही गई है । जैसे --- १ आदेयवचनवाला होना । (जिसके वचन सर्वजन-आदरणीय हों) २ मधुवर-वचन वाला होना । - ३ अनिश्रित (राग-द्रोष-रहित) वचनवाला होना। ४ असंदिग्ध (सन्देह-रहित) वचनवाला होना । . यह चार प्रकार की वचन-सम्पदा है ।
सूत्र ७
प्र०-से कि तं वायणा-संपया ? उ०- वायणा-संपया चउव्विहा पण्णत्ता, तं जहा१ विजयं (विचयं) उद्दिसइ, २ विजयं (विचयं) वाएइ, ३ परिनिव्वावियं वाएइ, ४ अत्थनिज्जावए यावि भवइ ।
से तं वायणा संपया (५) . प्रश्न-भगवन् ! वाचना-सम्पदा क्या है ?
उत्तर- वाचनासम्पदा चार प्रकार की कही गई है। जैसे --- १ विचय-उद्देशी-शिष्य की योग्यता का निश्चय करने वाला होना।
१ बादिज्ज० । २ फुडवयणे ।