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छेवसुत्ताणि आचारदशा अन्तिम सकल श्रु तज्ञानी-स्थविर-भद्रवाहु-प्रणीत
दशाश्रुतस्कन्ध सूत्र प्रथम असमाधिस्थान दशा
हे आयुष्मन् ! मैंने सुना है --उन निर्वाण-प्राप्त भगवान महावीर ने ऐसा. कहा हैआचारदशाओं के दस अध्ययन कहे हैं। जैसे१ बीस असमाधि स्थान । २ इक्कीस शबल दोष । ३ तेतीस आशातनाएं। ४ आठ प्रकार की गणिसंपदाए । ५ दस प्रकार के चित्तसमाधिस्थान ।' ६ ग्यारह प्रकार की उपासक प्रतिमाए। ७ बारह प्रकार की भिक्षु प्रतिमाए। ८ पर्युषणा कल्प। है तीस प्रकार के मोहनीय स्थान। १० आयति (निदान) स्थान ।
सूत्र २
तत्थ इमा पढमा असमाहिट्ठाणा दसा इह खलु थेरेहि भंगवंतेहिं बीसं असमाहि-ट्ठाणा पण्णत्ता। इनमें यह प्रथम असमाधिस्थान दशा है । इस आर्हत प्रवचन में निश्चय से स्थविर भगवन्तों ने बीस असमाधिस्थान कहे हैं।
प्र० कयरे खलु ते थेरेहि भगवंतेहिं बीसं असमाहि-ट्ठाणा पण्णसा? . उ० इमे खलु ते थेरेहिं भगवंतेहिं बीसं असमाहि-ट्ठाणा पण्णत्ता, तं जहा१ दवदवचारी यावि भवइ । २ अप्पमज्जियचारी यावि भवइ।