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आयारदसा
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किन्तु आचार्य यावत् गणावच्छेदक-इनमें से जिसको अगुआ मानकर वह विचर रहा हो उन्हें पूछकर ही तपःकर्म स्वीकार करना कल्पता है ।
वह भी अमुक प्रकार का और इतनी बार। यदि वे (आचार्यादि) आज्ञा दें तो तपःकर्म स्वीकार करना कल्पता है।
यदि वे (आचार्यादि) आज्ञा न दें तो तपःकर्म स्वीकार करना नहीं कल्पता है।
प्रश्न-हे भगवन् ! आपने ऐसा क्यों कहा? उत्तर-आचार्यादि आने वाली विघ्न-बाधाओं को जानते हैं ।
सूत्र ६५
वासावासं पज्जोसविए भिक्खू इच्छिज्जा अपच्छिम-मारणंतिय-संलेहणाझूसणा झूसिए भत्त-पाण-पडियाइक्खिए पाओवगए कालं अणवकंखमाण्णे विहरित्तए वा, निक्खमित्तए वा, पविसित्तए वा,
असणं वा, पाणं वा, खाइमं वा, साइमं वा आहारित्तए, उच्चारं वा, पासवणं वा परिट्ठावित्तए, सज्झायं वा करित्तएधम्मजागरियं वा जागरित्तए।
नो से कप्पइ अणापुच्छित्ता १ आयरियं वा, २ उवज्झायं वा, ३ थेरं वा, ४ पवत्तयं वा, ५ गणि वा, ६ गणहरं वा, ७ गणावच्छेययं वा, जं वा पुरओ काउं विहरइ। . कप्पइ से आपुच्छित्ता १ आयरियं वा, २ उवज्झायं वा, ३ थेरं वा, ४ पवत्तयं वा, ५ गणि वा, ६ गणहरं वा, ७ गणावच्छेययं वा, जं वा पुरओ काउं विहरइ–इच्छामि गं भंते ! तुम्भेहिं अब्भणुण्णाए समाणे अपच्छिम मारणंतिय-संलेहणा-झूसणा झूसिए भत्त-पाण-पडियाइक्खिए पाओवगए कालं अणवकंखमाणे विहरित्तए वा, निक्खभित्तए वा, पविसित्तए वा।
असणं वा, पाणं वा, खाइमं वा, साइमं वा आहारित्तएउच्चारं वा, पासवणं वा परिट्ठावित्तएसज्झायं वा करित्तएधम्म जागरियं वा जागरित्तए ? तं एवइयं वा, एवइखुत्तो वा ? . ते य से वियरिज्जा,